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Thursday, January 26, 2012

जैसी निगाहें वैसा शमाँ

जैसी निगाहें वैसा शमाँ,
निगाहों के अनुरुप बदलता जहाँ,
गमगीन होके देखो तो दुनिया उदासीन,
प्यार से देखो तो सबकुछ खुशनुमा ।

कोई कहता आधा है खाली,
कोई कहता है आधा भरा,
नजरिये का फेर है ये सब,
नजरिये पे निर्भर है अपनी धरा ।

सोच अच्छी हो तो होगे सफल,
गलत सोच डुबो देगा नाव,
सकारात्मता जीवन को देती है राह,
हो तपते हुए मौसम में जैसे छाँव ।

20 comments:

  1. वाह यह तो बहूत खूब कहा है आपने..
    सोच सकारात्मक हो , मन साफ हो तो सब अच्छा हि लगता है
    बेहतरीन अभिव्यक्ती

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    1. आपका आभार रीना जी |

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  2. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

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    1. विक्रम जी धन्यवाद |

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  3. नजरिये का फेर है , ये सब ,
    नजरिये पे निर्भर है , अपनी धरा ,
    सकारात्मक सोच , जीवन को देती है , राह...... !

    बिलकुल सही सोच दिखलाती रचना..... !!!!!

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    1. विभा जी बहुत बहुत धन्यवाद |

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  4. कविता के माध्यम से बहुत ही सुन्दर बात कही है मित्र।
    सकारात्मक नजरिया में ही जीवन की सार्थकता है।
    http://www.blogger.com/profile/18216221541613478194

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    1. दिनेश जी, हार्दिक आभार ब्लॉग में आने के लिए | स्नेह बनाये रखें |

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  5. सकारातंक सोच कि प्रेरणा देती सार्थक प्रस्तुति समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://aapki-pasand.blogspot.com/

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    1. पल्लवी जी बहत बहुत धन्यवाद | आपका ब्लॉग भी घूम आया |

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  6. sakaratmak soch liye bahut achchi rachna.

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    1. राजेश कुमारी जी बहुत बहुत आभार |

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  7. बेहतरीन और बहुत कुछ लिख दिया आपने..... सार्थक अभिवयक्ति......

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    1. सुषमा जी बहुत बहुत धन्यवाद |

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  8. बहुत सुन्दर!
    63वें गणतन्त्रदिवस की शुभकामनाएँ!

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    1. शास्त्री जी आभार |

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  9. सुंदर प्रस्तुति, अच्छी रचना,..

    WELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....

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    1. धीरेन्द्र जी धन्यवाद |

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