जैसी निगाहें वैसा शमाँ,
निगाहों के अनुरुप बदलता जहाँ,
गमगीन होके देखो तो दुनिया उदासीन,
प्यार से देखो तो सबकुछ खुशनुमा ।
कोई कहता आधा है खाली,
कोई कहता है आधा भरा,
नजरिये का फेर है ये सब,
नजरिये पे निर्भर है अपनी धरा ।
सोच अच्छी हो तो होगे सफल,
गलत सोच डुबो देगा नाव,
सकारात्मता जीवन को देती है राह,
हो तपते हुए मौसम में जैसे छाँव ।
सार्थक रचना
ReplyDeleteधन्यवाद अंजू जी |
Deleteवाह यह तो बहूत खूब कहा है आपने..
ReplyDeleteसोच सकारात्मक हो , मन साफ हो तो सब अच्छा हि लगता है
बेहतरीन अभिव्यक्ती
आपका आभार रीना जी |
Deleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteविक्रम जी धन्यवाद |
Deleteनजरिये का फेर है , ये सब ,
ReplyDeleteनजरिये पे निर्भर है , अपनी धरा ,
सकारात्मक सोच , जीवन को देती है , राह...... !
बिलकुल सही सोच दिखलाती रचना..... !!!!!
विभा जी बहुत बहुत धन्यवाद |
Deleteकविता के माध्यम से बहुत ही सुन्दर बात कही है मित्र।
ReplyDeleteसकारात्मक नजरिया में ही जीवन की सार्थकता है।
http://www.blogger.com/profile/18216221541613478194
दिनेश जी, हार्दिक आभार ब्लॉग में आने के लिए | स्नेह बनाये रखें |
Deleteसकारातंक सोच कि प्रेरणा देती सार्थक प्रस्तुति समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeletehttp://aapki-pasand.blogspot.com/
पल्लवी जी बहत बहुत धन्यवाद | आपका ब्लॉग भी घूम आया |
Deletesakaratmak soch liye bahut achchi rachna.
ReplyDeleteराजेश कुमारी जी बहुत बहुत आभार |
Deleteबेहतरीन और बहुत कुछ लिख दिया आपने..... सार्थक अभिवयक्ति......
ReplyDeleteसुषमा जी बहुत बहुत धन्यवाद |
Deleteबहुत सुन्दर!
ReplyDelete63वें गणतन्त्रदिवस की शुभकामनाएँ!
शास्त्री जी आभार |
Deleteसुंदर प्रस्तुति, अच्छी रचना,..
ReplyDeleteWELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
धीरेन्द्र जी धन्यवाद |
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