ढुँढती है नजरें तुझे हर दिन और हर रात,
आईने में नजरें अब तो तुझे तलाशती है ।
आहट तेरी करार है लेती अब तो हर हर एक पल,
भँवरों की गुँजन भी धुन तेरा सुनाती है ।
सपने तेरे मदहोश हैं करते अब निद्रा में हर रात,
जागती हुई आँखे भी ख्वाब तेरा दिखाती है ।
छुवन तेरा महसूस है करता ये मन हर लम्हा,
हवाओं की सरसराहट एहसास तेरा कराती है ।
खुशबू तेरी महकाती है अब बगिया में हरदम,
मादकता फूलों की भी याद तेरा दिलाती है ।
सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteधन्यवाद कैलाश जी | स्नेह बनाये रखें |
Deletehar waqt sirf usi ka khyal
ReplyDeleteyahi to pyar ka ahsas hai,
bahut sundar pyari rachana hai.
happy republic day...
बहुत बहुत आभार रीना जी |यूँही ब्लॉग में आती रहें |
Deleteबहुत सुंदर, भावपूर्ण अच्छी रचना,..
ReplyDeleteWELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
धीरेन्द्र जी धन्यवाद |
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआपको भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.... :)
ReplyDeleteआपकी कविता पढ़ , बहुत अच्छा लगा.... !
विभा जी बहुत बहुत धन्यवाद |
Deleteभावपूर्ण कविता के लिए आभार...........
ReplyDeleteसुषमा जी आपका आभार | इसी तरह ब्लॉग में आती रहें |
Deleteधन्यवाद माथुर साहब | आपका आभार |
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति...
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