संसार के पटल में, मैं एक छवि हूँ,
पेशे से अभियंता और दिल से कवि हूँ |
भावना के उदगार को, व्यक्त ही तो करता हूँ,
हृदय के जज्बात को, प्रकट ही तो करता हूँ;
बस एक "दीप" हूँ, कब कहा रवि हूँ ;
पेशे से अभियंता और दिल से कवि हूँ |
उन्मुक्त साहित्याकाश में, बस घूमा करता हूँ,
काव्य पढता-रचता हूँ और झूमा करता हूँ;
कोशिश होती लिखने की, शब्दों का बढई हूँ,
पेशे से अभियंता और दिल से कवि हूँ |
समाज की सत्यता को वर्णित किया करता हूँ,
सही शब्द सागर से, चयनित किया करता हूँ ;
बस एक माध्यम हूँ, काम करता थवई हूँ,
पेशे से अभियंता और दिल से कवि हूँ |
वाह वाह ....बहुत खूब मित्र।
ReplyDeleteधनयवाद सर |
Deleteबहुत सुन्दर..
ReplyDeleteआभार |
Deleteअपने कवि दिल को यूँ ही बरक़रार रखिये ....आभार
ReplyDeleteआपका धनयवाद
Deleteअंतिम पंक्तियों के माध्यम से तो आपने कवि ही क्या सभी लेखकों के दिल की बात कह डाली... बहुत खूब सार्थक रचना...
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार |
Deleteएक बहुत सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई |
ReplyDeleteआशा
आपका आभार आशा जी, यूँही आती रहे |
Deleteकोशिश होती लिखने की, शब्दों का बढई हूँ,
ReplyDeleteपेशे से अभियंता और दिल से कवि हूँ |सच में आप दिल से कवि है.... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती.....
धन्यवाद सुषमा जी |
Deleteइंजीनियर तो बिलकुल नही लगते,कवि के पूरे लक्षण दिखाई पड़ते है
ReplyDeleteमेरी मानना है की आप कवि पहले बाद में अभियंता है,....
बहुत सार्थक सुंदर प्रस्तुति,बेहतरीन पोस्ट....बधाई
new post...वाह रे मंहगाई...
मै फालोवर बन रहाहूँ आप भी बने तो हार्दिक खुशी होगी,..
प्रदीप जी
Deleteआप शायद फालो करना भूल गए,....देख ले.....
धन्यवाद धीरेन्द्र जी | आपका ब्लॉग फोलो कर लिया है |
Deletebahut khoob pardeep bhai ..........me to fan ho gaya apka
ReplyDelete.......behtreen rachnaa
regrds
Sanjay bhaskar
आभार संजय जी |
Deleteक्या बात है ... बहुत ही कमाल का परिचय है आपका ...
ReplyDeleteअच्छा लगा इस कवि से मिलना ...
बहुत बहुत धन्यवाद दिगंबर जी | इसी तरह हमेशा ब्लॉग में आते रहें |
Deletebahut sundar abhivykti hai..
ReplyDeleteआभार रीना जी |
Deleteबहुत बढ़िया अभिव्यक्त किया अपने आपक को...
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
आपका धन्यवाद संजय जी | इसी तरह आते रहें ब्लॉग में |
Deleteबहुत सुन्दर परिभाषित किया है स्वयं को ..अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार संगीता जी | इसी तरह ब्लॉग में आते रहें |
Deleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteसचमुच आप दिल से कवि हैं.
लिखते रहें..लेखनी चिरायु हो..
आपका आभार विद्या जी |
Deleteधन्यवाद शास्त्री जी |
ReplyDeleteआभार |
ReplyDeleteआपका बहुत आभार यशवंत जी |
ReplyDeleteआप भावना और शब्दों के शिल्पी हैं अभियंता तो बाद में ही हैं। सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteAabhaar.. Isi tarah blog me aati rahen..
Deletebahut sundar...
ReplyDeleteDhanyawaad..
Deleteवाह !!
ReplyDeleteअभियंता भी है
दिल भी है
कवी भी है
गजब है
थ्री इन वन
एक ही में हैं ! :))
वाह बहुत सुन्दरता से परिचय दिया आपने बहुत अच्छी लगी कविता बधाई
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