एक उम्मीद है लगी,
एक किरण है दिखी,
नये कोंपल है लगे,
नवल कलियाँ है खिली ।
पतझड़ के बाद,
शायद आये ऋतुराज,
ह्रदय में शतत,
एक आशा है जगी ।
युवा शक्ति आज,
है उठ खड़ा हुआ,
आलोक की तलाश,
अब शुरु हो चुकी ।
बदलाव की आये बयार,
रिमझिम-सी हो फुहार,
सुखद एक परिवर्तन की,
विश्वास है जगी ;
राष्ट्र नवनिर्माण की,
एक उम्मीद है लगी ।
एक किरण है दिखी,
नये कोंपल है लगे,
नवल कलियाँ है खिली ।
पतझड़ के बाद,
शायद आये ऋतुराज,
ह्रदय में शतत,
एक आशा है जगी ।
युवा शक्ति आज,
है उठ खड़ा हुआ,
आलोक की तलाश,
अब शुरु हो चुकी ।
बदलाव की आये बयार,
रिमझिम-सी हो फुहार,
सुखद एक परिवर्तन की,
विश्वास है जगी ;
राष्ट्र नवनिर्माण की,
एक उम्मीद है लगी ।
sunder kvita
ReplyDeletedekhna hai jagrti ke ye lahar kitna aage bdhegi
बहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.आपको कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें
ReplyDeleteaati sundar kavitha
ReplyDeleteवाह सुंदर ...बहुत सुंदर भाव ....
ReplyDeleteachchha hai
ReplyDeleteआपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (६) के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आयें और अपने विचारों से हमें अवगत कराएँ /आप हिंदी के सेवा इसी तरह करते रहें ,यही कामना हैं /आज सोमबार को आपब्लोगर्स मीट वीकली
ReplyDeleteके मंच पर आप सादर आमंत्रित हैं /आभार /