तब था मैं बस छोटा सा, जब तू थी जीवन में आई,
पुलकित था मन हर्षित था, जब तू थी आँगन में आई |बाल मन भी गदगद था, खुशियाँ खुद अंगना थी आई,
संग पलने संग बढ़ने को, जीवन में बहना थी आई |
हाथ मेरे बांधेगी राखी, सोच के मन उद्वेलित था,
खेलूँगा इस गुडिया से, जान के मन प्रफुल्लित था |
जैसे जैसे जीवन बीता, तू बस खुशियाँ देती गयी,
जीवन के हर एक मोड़ पर, तू बस खुशियाँ देती गयी |
आज तेरा निज जीवन है, पर मेरे लिए तू वैसी है,
गृहस्थ में तू है व्यस्त बड़ी, पर बहना मेरी तू वैसी है |
हाथ मेरा इंतजार है करता, राखी के त्यौहार का,
राखी से तेरे हाथ सजेगा, अमूल्य उस उपहार का |
दुआ है मेरी इश्वर से, सुख पाये बहना मेरी,
जो गम आये मुझे मिले, खुश रहे बहना मेरी |
बहुत सुन्दर रचना , खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना , खूबसूरत
ReplyDeleteDhanyawad S.N.Shukla ji..
ReplyDeleteDhanyawad Vidhya ji..
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