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Wednesday, August 24, 2011

सुनो ऐ सरकार !!

भ्रष्टाचारियों की हुई भरमार,
त्रस्त कर गया जब भ्रष्टाचार,
अन्ना ले आये गाँधी का अवतार,
जाग गया युवाओ का संसार,
जनता चली संग करने आर या पार;
माँगे उठाई हमने असरदार,
पर मौन है बैठा मन"मौन" सरदार,
कर्महीन ये निकम्मी सरकार;
आफत में पड़े देश के गद्दार,
क्या होगा अब सोच रहे मक्कार,
लूट जो जायेगा उनका बाजार;
पर हमे है देश से सरोकार,
करते रहेंगे वार पे वार,
जब तक जनलोकपाल न ले आकार;
अहिंसा ही है हमारा आधार,
दिखायेंगे हम एकता अपार;
सुन लो ऐ सोई सरकार !
न बनो भ्रष्टाचार का पहरेदार,
मान लो माँगे और समझ लो सार |

11 comments:

  1. बहुत सुन्दर।
    इंकलाब जिन्दाबाद।

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  2. sarthak rachna..... likhte rahiye :)

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  3. विचारवान कविता,आभार.

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  4. धन्यवाद शिखा जी

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  5. शास्त्री जी धन्यवाद आपका |

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  6. पंख जी आपका भी बहुत धन्यवाद |

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  7. Ankit pandey जी ब्लॉग में आने के लिए धन्यवाद | इसी तरह आते रहिये |

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  8. bahut sundar abhivyakti...badhaaiii

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