नहीं चाहता मखमल के गद्दे में मुझको आराम आये,
नहीं चाहता व्यापार में मेरा कोई बड़ा दाम आये,
चाहत मेरी बड़ी नहीं बस छोटी सी ही है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |
नहीं चाहता लाखों की लौटरी कोई मेरे नाम आये,
नहीं चाहता खुशियों भरा बहुत बड़ा कोई पैगाम आये,
ख्वाहिश मेरी ज्यादा नहीं बस थोड़ी सी ही है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |
नहीं चाहता मधुशाला में मेरे लिए अच्छा जाम आये,
नहीं चाहता फायदा भरा बहुत बड़ा कोई काम आये,
सपने मेरे अनेक नहीं बस एक ही तो है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |
नहीं चाहता प्रसिद्धि हो, नाम मेरा हर जुबान आये,
नहीं चाहता जीवन में कोई अच्छा बड़ा उफान आये,
इश्वर से दुआ मेरी बस इतनी सी ही है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |
नहीं कोई देशभक्त बड़ा मैं, नहीं देश का लाल बड़ा,
पर दिल में एक ज्वाला सी है, देश हित करूँ कुछ काम बड़ा,
भारत माँ के चरणों में नत एक बात मन में आये,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |
बहुत सुन्दर रचना , बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteदेश को समर्पित रचना....
ReplyDeleteदेश के प्रति समर्पित आपकी ये रचना वास्तव में बहुत प्रेरणा दायी है आभार प्रदीप जी इतनी प्रेरणा दायी रचना के लिए.
ReplyDeleteoj poorn rachna. aaj ke yuva varg ko ek seekh deti hui sunder prastuti.
ReplyDeleteDhanyawad Sabhi ka..
ReplyDeleteदेश को समर्पित सुन्दर रचना....
ReplyDeleteप्रदीप जी !
ReplyDeleteआपकी कविता बहुत ही लाजवाब है !
पर आपसे एक बात की इल्तिजा है...
कि कृपया कर के अपने ब्लॉग पे ब्लॉग आर्काइव भी लगाएँ ताकि अगर कभी आपके ब्लॉग को शुरुआत से पढ़ने का मन हुआ तो मुझे और अन्य किसी ब्लॉगर को कोई परेशानी न हो...
उम्मीद है कि आपको मेरा सुझाव अच्छा लगा होगा...
behtarin rachna,,,
ReplyDeletebahutt khoob
ReplyDeletemast likha hai :)