चाय की दुकान पे,
एक बालक है रहता |
नौ-दस वर्षीय, सकुचाया हुआ-सा |
चाय पीने वालों का मुख निहारता रहता ;
पेंट भी है ढीला, गंजी भी फटेहाल |
ग्लास हाथ से छूटने का इंतज़ार करता रहता,
चाय ख़त्म होते ही झट ग्लास ले जाता,
धोकर वापस अपने मालिक को थमाता |
कभी पेंट ठीक करता,
कभी गंजी को उठाकर नाक पोंछा करता |
यही उसका कार्यक्रम, यही उसकी दिनचर्या,
बदले में शाम को मिलता, तीस या चालीस रुपैया |
एक दिन मैंने उसे बुलाया,
पास में बिठाया,
पूछा मैंने बाबू तेरा नाम क्या है?
असमंजस सा खड़ा उसने मुझे देखा,
ठठक कर बस एक ही शब्द कहा-
"छोटू"
इधर-उधर से वापस वो ग्लास समेटने लगा,
मैंने तब उसको पुनः पास बुलाया,
बोला, छोटू तुम कभी स्कूल क्यों नहीं जाते,
सीखने को मिलेगा कुछ पढ़ क्यों नहीं आते?
मालिक की तरफ देखा फिर मुझे देखकर बोला,
माँ रहती बीमार और पिता है शराबी,
काम नहीं करूंगा तो होगा बहुत खराबी;
पैसे लेकर जाता हूँ, तब खाना खाता हूँ,
बाप की प्यास मिटाने को शराब भी तो लता हूँ |
सहज भाव से बोल के वो निकल गया,
पर नेत्र का कोना भींगा और दिल मेरा भर आया |
न जाने सरकार के कितने सारे योजना है,
पर जहाँ जरुरत है वहां तक वो कभी पंहुचा ही नहीं;
ऐसे ही कितने "छोटू" भारत में हैं बसते,
भारत हो रहा विकसित, फिर भी हम कहते |
क्या यही जनता का शासन है ?
क्या यही प्रजातंत्र है ?
क्या यही हमारी व्यवस्था है ?
क्या यही हमारा लोकतंत्र है ?
वाह बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteरचा है आप ने
क्या कहने ||
अच्छी रचना है!
ReplyDeletebahut achhi rachna
ReplyDeletebahut dard bhara hai is rachna me .aise bahut sare chhotu hain .kash sarkari yojyanon ka kuchh faiyda in tak pahuch paye .sarthak rachna .aabhar
ReplyDeleteBLOG PAHELI NO.1
han pradeep ji
ReplyDeleteaaj ke bharat ka yahi sachcha swaroop hai,
kahin bhi jao milte kitne chhotoo roop hain.
sundar abhivyakti.badhai.
namaskar
ReplyDeleteaap mere blag par aaye uska bahut bahut dhanyawad aapki es rachna ne sach mujh sochne par majbur kar diya hai ki kya sachmuch hamare Desh ka bhavishya yun hi andhiyare me bitegi pata nahi kya hoga es Gaandhi ke desh ka aaj agar lok paal bill pass hota hai to dekhte hai desh me kitne pratishat garibi kam hoti hai ya kitani kimten kam hoti hai vastuo ki mai Anna daa ka virodhi nahi hu par kya shasan ke khilaaf ek anashan kar lene se kya pure rajya, pure prashasan, pure officer, purekarmachari sudhar jayenge ????