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Saturday, June 11, 2011

फूलों की तरह हँसो

फूलों की तरह हँसो, औरों की मुस्कान तू बन,
धन से तुम गरीब ही सही, दिल से ही धनवान तू बन ।

रात देख भयभीत न हो, सुबह होगी इंतजार तो कर,
दुनिया तुझसे प्यार करेगी,औरों से तू प्यार तो कर ।

पर्वत से भी राह मिलेगा, थक कर बस यूँ हार न तू,
तलाश ही ले तू अपनी मंजिल, मन को अपने मार न तू ।

जीत तुझको भी मिलेगी, राह पे अपने चल निकल,
"दीप" दिखा तू औरों को, राह भी तेरा हो उज्ज्वल ।

6 comments:

  1. रात देख भयभीत न हो, सुबह होगी इंतजार तो कर,
    दुनिया तुझसे प्यार करेगी,औरों से तू प्यार तो कर
    bahut sundar bhavon se bhari abhivyakti.

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  2. रात देख भयभीत न हो, सुबह होगी इंतजार तो कर,
    दुनिया तुझसे प्यार करेगी,औरों से तू प्यार तो कर
    bahut sundar abhivyakti bhavon ki .badhai

    ReplyDelete
  3. प्रदीप जी, आपके ब्‍लॉग पर जाकर अच्‍छा लगा । आपकी कविता सुन्‍दर है । बधाई स्‍वीकारें ।

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  4. khubsurat rachna... n thanku for comments....

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  5. very inspirational !!

    धन से तुम गरीब ही सही, दिल से ही धनवान तू बन ।
    I wish everyone can think like that.

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