मेरे साथी:-

Thursday, June 30, 2011

चवन्नी की विदाई

( मित्रो, सुना है आज से अधिकारिक तौर पे चवन्नी का अस्तित्व ख़त्म कर दिया जायेगा | इसी बात पे मैंने अपनी ये कविता लिखी है | कृपया अपनी राय रखें |)

जा चवन्नी जा ! आज तेरी विदाई है,
तुझको रुख्सत करने वाली और कोई नही महँगाई है ।

देश से तेरा वजूद आज मिटने को है आया,
तुझपे भी समय का ये कोप है छाया |

पहला सिक्का बनके अठन्नी आज इठलाई है,
जा चवन्नी जा ! आज तेरी विदाई है |

मोल तेरा आज यहाँ रहा नहीं कुछ,
महंगाई की भेंट चढ़ सहा बहुत कुछ |

दस पैसा कबका गया, आज तेरी बारी आई है,
जा चवन्नी जा ! आज तेरी विदाई है |

गरीबों और बच्चों की एक चाहत थी तुम,
दर-ब-दर भटकती, फिर भी राहत थी तुम |

कहने वाले कहते हैं, आर्थिक तरक्की आई है,
जा चवन्नी जा ! आज तेरी विदाई है |

इस कृतघ्न समाज से विदाई शायद खुशनशीबी है तुम्हारी,
तुझको इस कदर भूलना शायद बदनशीबी है हमारी |

तेरी हंसी आज इस देश में कुम्भलाई है,
जा चवन्नी जा ! आज तेरी विदाई है |

23 comments:

  1. प्रिय भाई , आज अचानक आपके ब्लाग पर पहुँच गया . अच्छा लिखते हैं आप . मेरी बधाई स्वीकार करें .
    नीले आसमान पर छा

    ReplyDelete
  2. बहुत बहुत धन्यवाद् आपको | इसी तरह स्नेह बनाये रखिये और अपनी टिप्पणियों से मुझे उत्प्रेरित करते रहिये |

    ReplyDelete
  3. प्रिय श्रीप्रदिपजी,


    बढ़िया रचना। बधाई स्वीकार करें।

    मार्कण्ड दवे।

    पावली की पदोन्नति । Part- 1.

    http://mktvfilms.blogspot.com/2011/06/part-1_30.html

    ReplyDelete
  4. अद्भुत रचना है आपकी...बधाई स्वीकारें

    ReplyDelete
  5. करीब १५ दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ....प्रदिप जी

    ReplyDelete
  6. जिन्होंने अवैध चवन्नियां जोड़कर काला धन इकट्ठा किया होगा अब उनका क्या होगा ??

    ReplyDelete
  7. पूजा खातिर चाहिए सवा रुपैया फ़क्त |
    हुई चवन्नी बंद तो खफा हो गए भक्त ||

    कम से कम अब पांच ठौ, रूपया पावैं पण्डे |
    पड़ा चवन्नी छाप का, नया नाम बरबंडे ||

    बहुतै खुश होते भये, सभी नए भगवान् |
    चार गुना तुरतै हुआ, आम जनों का दान ||

    मठ-मजार के नगर में, भर-भर बोरा-खोर |
    भ'टक साल में भेजते, सिक्के सभी बटोर || |

    भ'टक-साल सिक्का गलत, मिटता वो इतिहास |
    जो काका के स्नेह सा, रहा कलेजे पास ||

    अन्ना के विस्तार को, रोकी ये सरकार |
    चार-अन्ने को लुप्त कर, जड़ी भितरिहा मार ||

    बड़े नोट सब बंद हों, कालेधन के मूल |
    मठाधीश होते खफा, तुरत गयो दम-फूल ||

    महाप्रभु के कोष में, बस हजार के नोट |
    सोना चांदी-सिल्लियाँ, रखें नोट कस छोट ||

    बिधि-बिधाता जान लो, होइहै कष्ट अपार |
    ट्रक- ट्रैक्टर से ही बचे, गर झूली सरकार ||

    ReplyDelete
  8. बहुत-बहुत बधाई |
    चवन्नी के जाने का दर्द वो क्या जाने बाबू--
    जिन्हें हजार के नोटों से ही मतलब ||

    ReplyDelete
  9. मार्कंड जी, बहुत बहुत धन्यवाद आपका |

    ReplyDelete
  10. शास्त्री जी, आपका हार्दिक आभार जो आपने मेरी रचना को चर्चा मंच के लायक समझा |

    ReplyDelete
  11. संजय जी, आशा है आपका स्वास्थ्य अब कुशल मंगल है | इसी तरह अपना स्नेह बनाये रखें और मेरी रचनाओ में अपनी टिप्पणियां रखकर उत्प्रेरित करते रहें |

    ReplyDelete
  12. दीपक जी, धन्यवाद् मेरे ब्लॉग में आने के लिए |

    ReplyDelete
  13. सतीश जी, धन्यवाद् आपका मेरे ब्लॉग में आने के लिए |
    काला धन जमा करने वाले चवन्नी कहा रखते हैं ? वो तो बड़े बड़े नोट रखते हैं वो भी स्विस बैंक में | वो तो गरीबों और बच्चो की शोभा थी |

    ReplyDelete
  14. रविकर जी, आपकी चौपाइयां बहुत सुन्दर है | धन्यवाद् |

    ReplyDelete
  15. आये है सो जायेंगे राजा रंक फ़कीर

    ReplyDelete
  16. वंदना जी, आभार मेरे ब्लॉग में आने के लिए | इसी तरह हौसला बढ़ाते रहे |
    धन्यवाद् |

    ReplyDelete
  17. आप की कवीता बहुत आचा लगा पढ़ के
    वह क्या बात है

    ReplyDelete
  18. धन्यवाद् विद्या जी |

    ReplyDelete
  19. विदाई पर बढ़िया रचना ... रविकर जी की रचना भी बहुत अच्छी लगी

    ReplyDelete
  20. संगीता जी, लखनवी जी, बहुत बहुत धन्यवाद् इसी तरह मेरे ब्लॉग में आकर उत्साह बर्धन करते रहें |

    ReplyDelete
  21. Visited for the first time... nice one...

    ReplyDelete
  22. Achha laga... chawani aadhar thi...par ab bekar hai...

    ReplyDelete

कृपया अपनी टिप्पणी दें और उचित राय दें | आपके हर एक शब्द के लिए तहेदिल से धन्यवाद |
यहाँ भी पधारें:-"काव्य का संसार"

हिंदी में लिखिए:

संपर्क करें:-->

E-mail Id:
pradip_kumar110@yahoo.com

Mobile number:
09006757417

धन्यवाद ज्ञापन

"मेरा काव्य-पिटारा" ब्लॉग में आयें और मेरी कविताओं को पढ़ें |

आपसे निवेदन है कि जो भी आपकी इच्छा हो आप टिप्पणी के रूप में बतायें |

यह बताएं कि आपको मेरी कवितायेँ कैसी लगी और अगर आपको कोई त्रुटी नजर आती है तो वो भी अवश्य बतायें |

आपकी कोई भी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण होगा |

मेरे ब्लॉग पे आने के लिए आपका धन्यवाद |

-प्रदीप