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Saturday, June 25, 2011

महँगाई से मोहब्बत

आज हर तरफ है छाई महँगाई,
हर एक के उपर आज आफत है आई,
महँगाई में ही सर्वोच्चता का दीदार हो गया,
ये सोच के महँगाई से मुझे प्यार हो गया ।

हर किसी के होठों पे बस इसका नाम है,
महँगाई खाश है बाकि सब आम है,
महँगाई के बिना चल पाना दुस्वार हो गया,
ये देख के महँगाई से मुझे प्यार हो गया ।

सरकार के नीति का ही कुछ गोलमाल है,
लफड़ा करुँ तो ये अपने ईज्जत का सवाल है,
हाथ खड़े करके ही अपना जीवन साकार हो गया,
इसलिए तो महँगाई से मुझे प्यार हो गया ।

परेशान तो हैं क्योंकि सबके बढ़ते दाम हैं,
पर क्या करें हम तो एक इंसान आम हैं,
सी नहीं सकता इसलिए जख्मों पे निसार हो गया,
ये सोच के महँगाई से मुझे प्यार हो गया ।

सबके लिए मेरे पास एक राय है,
अगर आपके खर्च है ज्यादा और कम आय है,
आप भी कहो महँगाई का सबको खुमार हो गया,
आज से महँगाई से मुझे प्यार हो गया ।

8 comments:

  1. बेहद खूबसूरत कविता

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  2. bahut mast kavita likhi hai zi !badhai!

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  3. बहुत बढ़िया रचना!
    सभी छन्द बहुत खूबसूरत हैं!

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  4. यथार्थ को दर्शाती हुई कविता बहुत अच्छी लगी.

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  5. shi nahi sakata isliya zakhmon pe nisar ho gay... isliye mahgayi se mujhe pyar ho gaya... bahut acchai rachna..yatharth ka bahut khoob citran..

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  6. बेहद खूबसूरत खूबसूरत

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  7. बेहद खूबसूरत खूबसूरत

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  8. अपनी टिप्पणियों से मेरा उत्साह बर्धन करने के लिए सबका धन्यवाद् |

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