हर शख्स किसी न किसी के प्यार में खोया होगा;
यूँ ही नहीं गिरा करती हैं ओंस की बुँदे,
आसमान भी शायद किसी के गम मे रोया होगा ।
चकोर के दिल में भी उठती होगी चाँद के लिए हुक,
मयूर ने भी घटा संग प्रेम का बीज बोया होगा;
पत्थर दिल कहते हैं कि आँसू नहीं आते,
पर उसने भी किसी की याद मे आँख भिंगोया होगा ।
नदियों ने भी सौंपी होंगी सागर को ख्वाहिशे,
पौधे ने भी लताओ संग सपना संजोया होगा;
कभी खुशी तो कभी गम के आँसू देता ये दर्द,
इस दर्द को भी सबने सिद्दत से जीवन मे पिरोया होगा ।
bahut hi shandar kavita ! badhai !
ReplyDeleteरचना के भाव अच्छे लगे।
ReplyDeleteहुक को हूक कर दें।
दर्द-ए-ईश्क पत्थर को भी रुलाता है ऐ "दीप",
ReplyDeleteहर शख्स किसी न किसी के प्यार में खोया होगा;
यूँ ही नहीं गिरा करती हैं ओंस की बुँदे,
आसमान भी शायद किसी के गम मे रोया होगा ।
bahut sundar bhavpoorn.
मनोज जी, आपकी टिप्पणी के लिए आभार । यूँ ही मेरा हौंसला बढ़ाते रहें ।
ReplyDeleteमनीष जी, अपनी राय से अवगत कराने के लिए धन्यवाद । इसी तरह पधारते रहें मेरा ब्लॉग में ।
ReplyDeleteशालिनी जी, मेरी हर रचना में आपकी टिप्पणी जरुर मिलती है । बहुत बहुत धन्यवाद । इसी तरह संपर्क बनाये रखें । आभार ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteकविता को एक नए अंदाज़ में परिभाषित किया है आप ने !
अपनी टिप्पणियों से मेरा उत्साह बर्धन करने के लिए सबका धन्यवाद् |
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