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Wednesday, December 26, 2012

ख्वाब क्या अपनाओगे ?

प्रत्यक्ष को अपना न सके, ख्वाब क्या अपनाओगे;
बने कपड़े भी पहन न पाये, नए कहाँ सिलवाओगे |

दुनिया उटपटांगों की है, सहज कहाँ रह पावोगे,
हर हफ्ते तुम एक नई सी, चोट को ही सहलाओगे |

सारे घुन को कूट सके, वो ओखल कैसे लावोगे,
जीवन का हर एक समय, नारेबाजी में बिताओगे |

जीवन भर खुद से ही लड़े, औरों को कैसे हराओगे,
मौके दर मौके गुजरे हैं, अंत समय पछताओगे |

गमों को हंसी से है छुपाया, आँसू कैसे बहाओगे,
झूठ का ही हो चादर ओढ़े, सत्य किसे बतलाओगे |

सीख न पाये खुद ही जब, क्या औरों को सिखलाओगी,
बने हो अंधे आँखों वाले, राह किसे दिखलाओगे |

व्यवस्था यहाँ की लंगड़ी है, क्या लाठी से दौड़ाओगे,
बोल रहे बहरे के आगे, दिल की कैसे सुनाओगे |

हक खुद का लेने के लिए भी, हाथ बस फैलाओगे,
भीख मांगने के ही जैसा, हाथ जोड़ गिड़गिड़ाओगे |

लोकतन्त्र के राजा तुम हो, प्रजा ही रह जाओगे,
कृतघ्न हो जो वो प्रतिनिधि, खुद ही चुनते जाओगे |

20 comments:

  1. वह,,वाह क्या बात है,,प्रदीप जी,,

    व्यवस्था यहाँ की लंगड़ी है,क्या लाठी से दौड़ाओगे,
    बोल रहे बहरे के आगे, दिल की कैसे सुनाओगे |

    recent post : समाधान समस्याओं का,

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  2. आज की जो परिस्थिति है, उसका सटीक चित्रण,-खुबसूरत गजल

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  3. सारे घुन को कूट सके, वो ओखल कैसे लावोगे,
    जीवन का हर एक समय, नारेबाजी में बिताओगे


    कुछ ठोस करना पड़ेगा
    प्रदीप जी

    अच्छा है ...

    नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार

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  4. व्यवस्था यहाँ की लंगड़ी है, क्या लाठी से दौड़ाओगे,
    बोल रहे बहरे के आगे, दिल की कैसे सुनाओगे |

    अद्भुत रचना है। ख़ास कर ये शेयर आज के सियासी माहौल की अक्कासी करता है। मै इससे सहमत हूँ।

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  5. यथार्थ का आइना दिखाती |

    नये ब्लॉग पर पधारें व अपने विचारों से अवगत करवाएं |

    टिप्स हिंदी ब्लॉग की नई पोस्ट : पोस्ट का टाईटल लिखें 3d Effect के साथ, बिना फोटोशाप की मदद के

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  6. सारे घुन को कूट सके, वो ओखल कैसे लावोगे,
    जीवन का हर एक समय, नारेबाजी में बिताओगे |

    जीवन भर खुद से ही लड़े, औरों को कैसे हराओगे,
    मौके दर मौके गुजरे हैं, अंत समय पछताओगे
    प्रिय प्रदीप जी यथार्थ को दिखाती और सचेत होने को प्रेरित करती रचना ..सुन्दर बन पड़ी ...जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  7. http://urvija.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_31.html

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  8. बहुत सुंदर रचना !!
    नव वर्ष की मंगलकामनाएँ !!

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  9. आपकी रचना बड़ी उम्दा है ...ये पंक्ति तो क्या लाजवाब है ....
    "लोकतन्त्र के राजा तुम हो, प्रजा ही रह जाओगे"

    यहाँ पर आपका इंतजार रहेगा शहरे-हवस


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  10. बढ़िया प्रस्तुति है स्वगत कथन संवाद शैली में .

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  11. swagat hai
    नई पोस्ट में :" अहंकार " http://kpk-vichar.blogspot.in

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  12. aaj ki vyavastha par karari chot..

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  13. सारा सच लिखा है. सुन्दर रचना.

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  14. जीवन भर खुद से ही लड़े, औरों को कैसे हराओगे,
    मौके दर मौके गुजरे हैं, अंत समय पछताओगे |

    बहुत खूब ,,,
    हरेक पंक्तियाँ लाजवाब ...

    मंगल मकरसंक्रांति की शुभकामनाएँ !

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  15. सच की आइना दिखाती बहुत ही सार्थक प्रस्तुती।
    भूली-बिसरी यादें
    वेब मीडिया

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  16. लाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  17. बढ़िया प्रस्तुति

    शुक्रिया आपकी टिपण्णी के लिए हमें चर्चा मंच में बिठाने के लिए .

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  18. बहुत उम्दा प्रस्तुति ...

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  19. सारे घुन को कूट सके, वो ओखल कैसे लावोगे,
    जीवन का हर एक समय, नारेबाजी में बिताओगे |

    लोकतन्त्र के राजा तुम हो, प्रजा ही रह जाओगे,
    कृतघ्न हो जो वो प्रतिनिधि, खुद ही चुनते जाओगे |

    यही शिखर होना था इस रचना का ,

    लोकतंत्र के प्रहरी को कब शीशा दिखाओगे ?

    बहुत बढ़िया रचना शुक्रिया प्रदीप भाई आपकी टिपण्णी का। कहाँ थे इतने दिनों से ?

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