तेरे ईश्क़ में जालिम बदनाम हो गए |
सम्मोहन विद्या तूने ऐसी चलाई,
दो पल में हम तेरे गुलाम हो गए |
छोड़ दिया खाना जब याद में तेरे,
दो हफ्तों में ही चूसे हुए आम हो गए |
चुराया था तूने जबसे चैन को मेरे,
रात सजा और दिन मेरे हराम हो गए |
जुदाई तेरी मुझसे जब सही न गई,
खाली कितने जाम के जाम हो गए |
गम में तेरे कुछ इस कदर रोया,
हृदय के भीतर कोहराम हो गए |
सोचता रहा मैं दिन-रात ही तुझे,
खो दिया सबकुछ, बेकाम हो गए |
समझा था मैंने, तुझे सारे तीरथ,
सोचा था तुम ही मेरे धाम हो गए |
पता नहीं क्या-क्या सपने सँजो लिए,
फोकट में ही इतने ताम-झाम हो गए |
चक्कर में तेरे जिस दिन से पड़ा,
उल्टे-पुल्टे मेरे सारे काम हो गए |
फेसबुक में देखा तो हूर थी लगी,
मिला तो अरमाँ मेरे धड़ाम हो गए |
कस जो लिया तूने बाहों में अपने,
लगने लगा जैसे राम नाम हो गए |
एक बार तो मुझको ऐसा भी लगा,
चाहतों के मेरे क्या अंजाम हो गए |
टॉप-अप जो तेरा बार-बार करवाया,
कपड़े तक भी मेरे नीलाम हो गए |
चाहकर तुझको शायद पाप कर लिया,
नरक में जाने के इंतजाम हो गए |
चबाया है तूने ऐसे प्यार को मेरे,
प्यार न हुआ, काजू-बादाम हो गए |
आंसुओं से तूने कुछ ऐसे भिगाया,
बार बार मुझको जुकाम हो गए |
घेरे से छुटकर अब लगता है ऐसे,
आम के आम, गुठलियों के दाम हो गए |
बेपर्दा तो अब हम सरेआम हो गए,
तेरे ईश्क़ में जालिम बदनाम हो गए |
देख कर जुदाई व हास्य का ये ताना - बाना
ReplyDeleteहम तो दांतों तले ऊँगली दबा हैरान हो गये.
बहुत खूब ... :D
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/11/3.html
बेपर्दा तो अब हम सरेआम हो गए,
ReplyDeleteतेरे ईश्क़ में जालिम बदनाम हो गए,,,बहुत सुन्दर नज्म,,,
recent post : तड़प,,,
बहुत बढ़िया जी ......
ReplyDeleteहाहाहा... कुछ अच्छा भी हुआ या नहीं...
ReplyDeleteखूब हँसे हम तो पढ़कर... :))
~सादर !!!
:) Fantastic engineering :)
ReplyDeleteएक ही गज़ल में तरह तरह के रंग !!!!!!!
ReplyDeleteभई वाह, कमाल की इंजीनियरिंग है
मेहनत के साथ हमने,थी खूब की पढ़ाई
डिग्री न काम आई, हज्जाम हो गये
वी.आई.पी की गाड़ी से मात खा गये हम
रस्ते सभी हमारे , थे जाम हो गये
हहाहाहा क्या मजेदार ग़ज़ल कही हर शेर पे हा हा हा निकले ---बहुत खूब प्रिय प्रदीप जी दाद कबूल करें
ReplyDeleteइश्क में हम गुलाम हो गए ,
ReplyDeleteआदमी थे काम के बे -काम हो गए .
मेंढकी को देखो जुकाम हो गए ,
इन्फ़्ल्युएन्ज़ा और सर्शाम हो गए .
इश्क में तेरे बदनाम हो गए ,
गुमनाम थे ,hazzaam हो गए .
badhiyaa rachnaa hai .
बहुत खूबशूरत मजेदार गजल के लिए बधाई,,,प्रदीप जी,,
ReplyDeleterecent post: बात न करो,
रोचक रचना ...
ReplyDeleteशुभकामनायें ।
सबसे खतरनाक रोग इश्क का रोग ...बहुत खूब !!
ReplyDeleteचबाया है तूने ऐसे प्यार को मेरे,
ReplyDeleteप्यार न हुआ, काजू-बादाम हो गए |
आंसुओं से तूने कुछ ऐसे भिगाया,
बार बार मुझको जुकाम हो गए |
छोड़ दिया खाना जब याद में तेरे,
दो हफ्तों में ही चूसे हुए आम हो गए |
प्रदीप जी ...प्यार और दर्द की शायरी में अगर इस तरह के शेर ना डाले तो अच्छा रहेगा .......गंभीर शायरी करे या भी व्यंग्य ...दोनों को अलग अलग रखे वो ही अधिक सही होगा ........सादर
बहुत बढियां
ReplyDeleteरोचक रचना....
:-)