दाव में रखकर अपनी जिंदगी को हर वक़्त हर घड़ी,
सहम-सहम के लोग आज ये जिंदगी जिया करते हैं |
सौ ग्राम दिमाग के साथ दस ग्राम दिल भी नहीं रखते लोग,
विरले हैं जो आज भी हर फैसला दिल से किया करते हैं |
बच्चे को आया के हवाले कर, पिल्ले को रखते हैं गोद में,
कहते हैं आज के बच्चे माँ-बाप का साथ नहीं दिया करते हैं |
एक दिन फेंकी थी तुमने जो चिंगारी मेरे घर की ओर,
आग बना कर उसे हम आज भी हवा दिया करते हैं |
अपनी अपनी कर के जी लेते हैं जिंदगी किसी तरह,
स्वार्थ की बनी चाय ही सब हर वक़्त पिया करते हैं |
अब तो ये चाँद भी आता है लेकर सिर्फ आग ही आग,
फिर क्यों सूरज से शीतलता की उम्मीद किया करते हैं |
सब हैं खड़े यहाँ कतार में जख्म देने के लिए ऐ "दीप",
कोई भरता नहीं हम खुद ही जख्मों को सिया करते हैं |
अपना तो जिंदगी जीने का फंडा ही अलग है ऐ "दीप",
कोशिश रहती खुशियाँ देने की और गम लिया करते हैं |
अपना तो जिंदगी जीने का फंडा ही अलग है ऐ "दीप",
ReplyDeleteकोशिश रहती खुशियाँ देने की और गम लिया करते हैं |
Bahut khoob !
बच्चे को आया के हवाले कर, पिल्ले को रखते हैं गोद में,
ReplyDeleteकहते हैं आज के बच्चे माँ-बाप का साथ नहीं दिया करते हैं |
एक दिन फेंकी थी तुमने जो चिंगारी मेरे घर की ओर,
आग बना कर उसे हम आज भी हवा दिया करते हैं |
वाह ... एक एक शेर आपकी छाप छोड़ते हैं .. बहुत ही शानदार गजल।
मेरी नई कविता आपके इंतज़ार में है: नम मौसम, भीगी जमीं ..
बहुत सराहनीय प्रस्तुति. आभार. बधाई आपको
ReplyDeleteप्रशंसनीय प्रस्तुति
ReplyDeleteसब हैं खड़े यहाँ कतार में जख्म देने के लिए ऐ "दीप",
ReplyDeleteकोई भरता नहीं हम खुद ही जख्मों को सिया करते हैं |.
बेहतरीन अभिव्यक्ति,प्रशंसनीय रचना,,,,बधाई प्रदीप जी,,,
recent post: वजूद,
बहुत खूब ...
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteवाह ... क्या बात है .. लाजवाब शेर ...
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ReplyDeleteआज की रहनी सहनी पे तंज करती बढती है यह सांगीतिक गजल .
परिवर्तन पसंद आया --- जय हिंदी!
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