हिंदी मेरी जान है,
भारत की पहचान है ;
भारत की पहचान है ;
भारत भाल की बिंदी है,
निज भाषा अभिमान है |
खत्री से बच्चन तक ने,
सींचा जिसे वो प्राण है;
संस्कृत के वृक्ष से निकली,
अद्भुत भाषा महान है |
देश को जोड़े एक सूत्र में,
मधुर-सी एक तान है;
है इसका समृद्ध-साहित्य,
हिन्द की ये शान है |
हिंदी ही पूजा है सबकी,
हिंदी ही अजान है;
होली, दीवाली हिंदी है,
हिंदी ही रमजान है |
देश को विकसित कर सकती,
हिंदी गुणों की खान है;
हिंदी अहित है देश अहित,
हिंदी हिन्दुस्तान है |
हिंदी हिन्दुस्तान है |
हिंदी पर आपने बहुत ही उत्कृष्ट रचना लिखी है.हिंदी ही हमारा गौरव है ,हमारा मान है.
ReplyDeleteआपका धन्यवाद अरूण जी |
ReplyDeleteहिंदी की जय बोल |
ReplyDeleteमन की गांठे खोल ||
विश्व-हाट में शीघ्र-
बाजे बम-बम ढोल |
सरस-सरलतम-मधुरिम
जैसे चाहे तोल |
जो भी सीखे हिंदी-
घूमे वो भू-गोल |
उन्नति गर चाहे बन्दा-
ले जाये बिन मोल ||
हिंदी की जय बोल |
हिंदी की जय बोल
रविकर जी धन्यवाद |
ReplyDeletebahut sundar pagtiya
ReplyDeletekitna undha hai
racha bhi sundar
सुंदर प्रस्तुति..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ... यही मान मिलना चाहिए हिंदी को ..
ReplyDeleteधन्यवाद आपका विद्या जी |
ReplyDeleteप्रज्ञा जी आपका पुनः धन्यवाद |
ReplyDeleteसंगीता जी आपका आभार |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ..सुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteआपका धन्यवाद महेश्वरी जी |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना .........
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