न जाने कहाँ
खो गई
मिट्टी की वो
असली खुशबू
गुम हुए
आधुनिकता में
मीठे-सुरीले
वो लोकगीत |
कर्ण-फाड़ू
संगीत ही रहा
वो असली रंगत
नहीं रही
मूल भारत की
याद दिलाती
कहाँ गए
वो लोकगीत |
एफ. एम., पोड ने
निगल लिया
फिल्मी गानों ने
ग्रास लिया
अब तो कोई
सुनता भी नहीं
न गाता कोई
वो लोकगीत |
BADHAAI ||
ReplyDeleteआधु-निकता धूनती, धिन-धिन धुन-धुन गीत,
धूम-धडाका बज रहा, कान फोड़ संगीत |
कान फोड़ संगीत, मिटाता असली खुश्बू ,
चंडू पीकर मस्त, तोड़ता जाए बम्बू
कर भारत अफ़सोस, नहीं दो दिन भी टिकता,
लोकगीत को बेंच, खरीदते आधुनिकता ||
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ.
ReplyDeleteलोक गीत गाँवों में अभी भी जीवित हैं , फिर भी आसानी से नहीं मिलेंगे ,ढूँढना ही होगा.
badhiyaa
ReplyDeleteएफ. एम., पोड ने
ReplyDeleteनिगल लिया
फिल्मी गानों ने
ग्रास लिया
अब तो कोई
सुनता भी नहीं
न गाता कोई
वो लोकगीत |
वर्तमान का यथार्थ है आपकी कविता में .
शुक्र है कि मेरे शहर सागर में आकाशवाणी का एफ. एम. केन्द्र है, जिससे बुन्देली लोकगीतों का नियमित प्रसारण होता है.
आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
ReplyDeleteआप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए...
BINDAAS_BAATEN कृपया यहाँ चटका लगाये
MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
MITRA-MADHUR कृपया यहाँ चटका लगाये
सुन्दर और बेहतरीन कविता
ReplyDeleteअपने ब्लाग् को जोड़े यहां से 1 ब्लॉग सबका
कृपया फालोवर बनकर उत्साह वर्धन कीजिये
.... बेहतरीन कविता
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