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Saturday, September 10, 2011

वो लोकगीत

न जाने कहाँ
खो गई
मिट्टी की वो
असली खुशबू
गुम हुए
आधुनिकता में
मीठे-सुरीले
वो लोकगीत |

कर्ण-फाड़ू
संगीत ही रहा
वो असली रंगत
नहीं रही
मूल भारत की
याद दिलाती
कहाँ गए
वो लोकगीत |

एफ. एम., पोड ने
निगल लिया
फिल्मी गानों ने
ग्रास लिया
अब तो कोई
सुनता भी नहीं
न गाता कोई
वो लोकगीत |

8 comments:

  1. BADHAAI ||

    आधु-निकता धूनती, धिन-धिन धुन-धुन गीत,
    धूम-धडाका बज रहा, कान फोड़ संगीत |
    कान फोड़ संगीत, मिटाता असली खुश्बू ,
    चंडू पीकर मस्त, तोड़ता जाए बम्बू
    कर भारत अफ़सोस, नहीं दो दिन भी टिकता,
    लोकगीत को बेंच, खरीदते आधुनिकता ||

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  2. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  3. जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ.
    लोक गीत गाँवों में अभी भी जीवित हैं , फिर भी आसानी से नहीं मिलेंगे ,ढूँढना ही होगा.

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  4. एफ. एम., पोड ने
    निगल लिया
    फिल्मी गानों ने
    ग्रास लिया
    अब तो कोई
    सुनता भी नहीं
    न गाता कोई
    वो लोकगीत |

    वर्तमान का यथार्थ है आपकी कविता में .
    शुक्र है कि मेरे शहर सागर में आकाशवाणी का एफ. एम. केन्द्र है, जिससे बुन्देली लोकगीतों का नियमित प्रसारण होता है.

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  5. आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
    आप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए...
    BINDAAS_BAATEN कृपया यहाँ चटका लगाये
    MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
    MITRA-MADHUR कृपया यहाँ चटका लगाये

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  6. सुन्दर और बेहतरीन कविता
    अपने ब्लाग् को जोड़े यहां से 1 ब्लॉग सबका


    कृपया फालोवर बनकर उत्साह वर्धन कीजिये

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