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Thursday, September 1, 2011

काव्य का संसार


अनुपम, अक्षय होता है ये काव्य का संसार,
अखिल जगत में अकथ, अकाय और निराकार |

साहित्य की यह विधा अनूठी, पद्य भी कहाय,
हृदय से उत्थित, सरस शब्दों में उकेरा जाय |

भावों की ये मंजूषा, मञ्जीर, मधुर मानिक,
मुतक्का साहित्य का दृढ, मनन करो तनिक |

अमरसरित सी पावन, जनश्रुत ये अपार,
अद्भूत, असम, अनुरक्त है ये काव्य का संसार |

(शब्दार्थ: मञ्जीर=मनोहर, मुतक्का=खम्भा,
अमरसरित=गंगा, जनश्रुत=प्रसिद्द, अनुरक्त=प्रेम युक्त )

9 comments:

  1. आपके ब्लाग काव्य का संसार की लिंक प्रदान करने का कष्ट करे निम्न मेल पर धन्यवाद्
    neelkamalkosir@gmail.com

    बहुत ही सुन्दर पढ़ कर अच्छा लगा......
    गणेश चतुर्थी की आपको हार्दिक शुभकामनायें
    आप भी आये यहाँ कभी कभी
    MITRA-MADHUR
    MADHUR VAANI
    BINDAAS_BAATEN

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  2. बहुत बढ़िया!
    माँ सरस्वती आपकी लेखनी में विराजमान है।
    गणेशोत्सव की शुभकामनाएँ!

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  3. bahut sundar sahityik prastuti.hindi ke shabd bhandar me vriddhi karan eke liye aabhar pradeep ji.
    फांसी और वैधानिक स्थिति

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  4. आपका धन्यवाद नीलकमल जी | आपको लिंक भेज दिया गया है |

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  5. आपका बहुत बहुत आभार शास्त्री जी | अनुनय बनाये रखें |

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  6. आपका भी बहुत-2 धन्यवाद शालिनी जी |

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  7. Thanks
    pradeep ji
    kavita bahut sundar hai
    mai to commplex feel
    kar raha hu ki aapke link ko accept
    kar itni sundar kavita
    ke aas paas kuch likh bhi paunga ki nahi?
    Jai shriram kahkar link accept kar liya hai
    aage iswar jane.
    Sundar kabita hetu punah badhai.

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  8. इस तरह से मत कहिये शुक्ला जी | इतना भी अच्छा नहीं लिखता मैं की आप कॉम्प्लेक्स फील करो |

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  9. SUNDAR RACHNA-AAPKA NAYA KAVYA SANSAAR BHI ACHCHHA LAG RAHA HAI

    GHOTOO

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