गुरु की महिमा क्या कहूँ, कह न पाऊँ मित्र |
जीवन को महकाते हैं, तन को जैसे इत्र ||
सीखलाते हैं पाठ ये, जीने का भी ढंग |
बतलाते जीवन का मर्म, कितने होते रंग ||
ईश्वर से भी बढ़कर है, गुरु की महिमा जान |
गुरु के बिन जीवन दुष्कर, अर्थहीन ये मान ||
मन को देते ज्ञान ये, तन को जैसे प्राण |
शुद्धि करते अंतर की, दे शिक्षा का दान ||
आदि काल से शिक्षक ही, करते विकास संपूर्ण |
बिन गुरु के होता है, मानव ही अपूर्ण ||
(शिक्षक दिवस पर सभी को शुभकामनाएँ | तथा उन सभी ब्लॉगरों को प्रणाम जिनसे कुछ भी सीखा है |)
इंजीनियर साहब आपके दोदहों में मात्राएँ बढ़ रही हैं!
ReplyDelete--
अध्यापकदिन पर सभी, गुरुवर करें विचार।
बन्द करें अपने यहाँ, ट्यूशन का व्यापार।।
छात्र और शिक्षक अगर, सुधर जाएँगे आज।
तो फिर से हो जाएगा, उन्नत देश-समाज।।
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शिक्षक दिवस पर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को नमन करते हुए आपको शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ!
पहली कक्षा की शिक्षिका--
ReplyDeleteमाँ के श्रम सा श्रम वो करती |
अवगुण मेट गुणों को भरती |
टीचर का एहसान बहुत है --
उनसे यह जिंदगी संवरती ||
माँ का बच्चा हरदम अच्छा,
झूठा बच्चा फिर भी सच्चा |
ठोक-पीट कर या समझाकर-
बना दे टीचर सच्चा-बच्चा ||
लगा बाँधने अपना कच्छा
कक्षा दो में पहुंचा बच्चा |
शैतानी में पारन्गत हो
टीचर को दे जाता गच्चा ||
sundar... happy teacherday....
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
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शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ!