मेरे साथी:-

Friday, September 2, 2011

जज़्बात-ए-ईश्क

कुछ सुन लो या कुछ सुना दो मुझको,
गुमसुम रहकर न यूँ सजा दो मुझको,
जान से भी प्यारी है तेरी ये मुस्कुराहट,
मुस्कुरा कर थोड़ा सा हँसा दो मुझको |

आँखों से ही कुछ सीखा दो मुझको,
थोड़ी सी खुशी ही दिखा दो मुझको,
तेरी खुशी से बढ़कर कुछ भी नहीं है,
अपनो की सूची में लिखा दो मुझको |

पलकें उठा के एक नज़र जरा दो मुझको,
ज़न्नत के दरश अब करा दो मुझको,
तेरी जीत में ही छुपी है मेरे जीतने की खुशी,
नैनों की लड़ाई में थोड़ा हरा दो मुझको |

7 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
    बधाई ||

    ReplyDelete
  2. नयन से चाह भर, वाण मार मार कर
    ह्रदय के आर पार, झूरे चला जात है |

    नेह का बुलाय लेत, देह झकझोर देत
    झंझट हो सेत-मेत, भाग भला जात है |

    बेहद तकरार हो, खुदी खुद ही जाय खो
    पग-पग पे कांटे बो, प्रेम गीत गात है |

    मार-पीट करे खूब, प्रिय का धरत रूप
    नयनों से करे चुप, ऐसे आजमात है ||

    ReplyDelete
  3. धन्यवाद रविकर जी |
    आपकी रचना बेहद उम्दा |

    ReplyDelete
  4. वाह ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  5. धन्यवाद विद्या जी |

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर,खूबसूरत लफ्ज

    ReplyDelete
  7. Nice .

    http://hbfint.blogspot.com/2011/09/8.html

    ReplyDelete

कृपया अपनी टिप्पणी दें और उचित राय दें | आपके हर एक शब्द के लिए तहेदिल से धन्यवाद |
यहाँ भी पधारें:-"काव्य का संसार"

हिंदी में लिखिए:

संपर्क करें:-->

E-mail Id:
pradip_kumar110@yahoo.com

Mobile number:
09006757417

धन्यवाद ज्ञापन

"मेरा काव्य-पिटारा" ब्लॉग में आयें और मेरी कविताओं को पढ़ें |

आपसे निवेदन है कि जो भी आपकी इच्छा हो आप टिप्पणी के रूप में बतायें |

यह बताएं कि आपको मेरी कवितायेँ कैसी लगी और अगर आपको कोई त्रुटी नजर आती है तो वो भी अवश्य बतायें |

आपकी कोई भी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण होगा |

मेरे ब्लॉग पे आने के लिए आपका धन्यवाद |

-प्रदीप