मेरे साथी:-

Thursday, September 27, 2012

शहीदे आजम रहा पुकार

सरदार भगत सिंह
(28 सितंबर 1907 – 23 मार्च 1931)
("शहीदे आजम" सरदार भगत सिंह के जन्म दिवस पर श्रद्धांजलि स्वरूप पेश है एक रचना )

जागो देश के वीर वासियों,
सुनो रहा कोई ललकार;
जागो माँ भारत के सपूतों,
शहीदे आजम रहा पुकार |

सुप्त पड़े क्यों उठो, बढ़ो,
चलो लिए जलती मशाल;
कहाँ खो गई जोश, उमंगें,
कहाँ गया लहू का उबाल ?

फिर दिखलाओ वही जुनून,
आज वक़्त की है दरकार;
जागो माँ भारत के सपूतों,
शहीदे आजम रहा पुकार |

पराधीनता नहीं पसंद थी,
आज़ादी को जान दी हमने;
भारत माँ के लिए लड़े हम,
आन, बान और शान दी हमने |

आज देश फिर घिरा कष्ट में,
भरो दम, कर दो हुंकार;
जागो माँ भारत के सपूतों,
शहीदे आजम रहा पुकार |

कई कुरीति, कई समस्या,
से देखो है देश घिरा;
अपने ही अपनों के दुश्मन,
नैतिक स्तर भी खूब गिरा |

ऋण चुकाओ देश का पहले,
तभी जश्न हो तभी त्योहार;
जागो माँ भारत के सपूतों,
शहीदे आजम रहा पुकार |

भ्रष्टाचार, महंगाई से है,
रो रहा ये देश बड़ा;
अपनों ने ही खूब रुलाया,
देख रहा तू खड़ा-खड़ा ?

पहचानों हर दुश्मन को अब,
छुपे हुए जो हैं गद्दार,
जागो माँ भारत के सपूतों,
शहीदे आजम रहा पुकार |

लोकतन्त्र अब नोटतंत्र है,
बिक रहा है आज जमीर;
देश भी कहीं बिक न जाए,
जागो रंक हो या अमीर |

चूर करो हर शिला मार्ग का,
तोड़ दो उपजी हर दीवार;
जागो माँ भारत के सपूतों,
शहीदे आजम रहा पुकार |

आज गुलामी खुद से ही है,
आज तोड़ना अपना दंभ;
आज अपनों से देश बचाना,
आज करो नया आरंभ |

आज देश हित लहू बहेगा,
आज उठो, हो जाओ तैयार;
जागो माँ भारत के सपूतों,
शहीदे आजम रहा पुकार |

-"दीप"

8 comments:

  1. शहीद ए आज़म सरदार भगत सिंह जी ज़िंदाबाद ... इंकलाब ज़िंदाबाद !!


    कुछ बहरे आज भी राज कर रहे है - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका बहुत बहुत आभार |

      Delete
  2. पहचानों हर दुश्मन को अब ,

    छुपे हुए जो हैं गद्दार ,

    जागो !माँ भारत के सपूतों ,

    शहीदे आज़म रहा पुकार .

    लोक तंत्र अब नोट तंत्र है ,

    बिक रहा है आज ज़मीर ,

    देश भी कहीं बिक न जाए ,

    जागो रंक हो या अमीर .


    --------प्रदीप कुमार (ब्लॉग मेरा काव्य पिटारा )

    कोयला कोयला हुई सियासत ,

    लोग हुए कितने लाचार ,

    स्विस बैंक में पड़ा है गिरवीं ,

    झोंटों का आचार विचार .

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति है भाई साहब !प्रासंगिक सारगर्भित ,मौजू .बधाई .

    वीरुभाई ,कैंटन ,मिशिगन .

    ReplyDelete
  3. शानदार ओजश्वी प्रस्तुति,,,,
    शहीद भगत सिंह को शत शत नमन,,,

    RECENT POST : गीत,

    ReplyDelete
  4. बहुत बहुत आभार शास्त्री जी |

    ReplyDelete
  5. सुन्दर आवाहन .....काश लोगों के ज़मीर जग जायें ..और इस पुकार के स्वर उनकी आत्मा तक पहुँच पाएं

    ReplyDelete

कृपया अपनी टिप्पणी दें और उचित राय दें | आपके हर एक शब्द के लिए तहेदिल से धन्यवाद |
यहाँ भी पधारें:-"काव्य का संसार"

हिंदी में लिखिए:

संपर्क करें:-->

E-mail Id:
pradip_kumar110@yahoo.com

Mobile number:
09006757417

धन्यवाद ज्ञापन

"मेरा काव्य-पिटारा" ब्लॉग में आयें और मेरी कविताओं को पढ़ें |

आपसे निवेदन है कि जो भी आपकी इच्छा हो आप टिप्पणी के रूप में बतायें |

यह बताएं कि आपको मेरी कवितायेँ कैसी लगी और अगर आपको कोई त्रुटी नजर आती है तो वो भी अवश्य बतायें |

आपकी कोई भी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण होगा |

मेरे ब्लॉग पे आने के लिए आपका धन्यवाद |

-प्रदीप