आप हो दानी, मैं अकिंचन ।
आप नाथ हो हे त्रिपुरारी,
दास हूँ मैं भोले भंडारी ।
आप नाथ हो हे त्रिपुरारी,
दास हूँ मैं भोले भंडारी ।
सत्य, शिव और आप हैं सुन्दर,
पूजे जिनको स्वयं ही इंदर ।
अवढर दानी आप को माने,
तनिक हमारे कष्ट भी जाने ।
शिवा समेत कैलाश विराजे,
नाग गला, चन्द्र शीष में साजे ।
महादेव हे हर-हर, हर-हर,
कृपा बनाना नाथ डमरूधर ।
बंदऊँ हे त्रिनेत्र के स्वामी,
चरण वंदना अंतर्यामी ।
कालों के भी काल आप हो,
भूतनाथ विशाल आप हो ।
सोमनाथ हे, आप रामेश्वर
आस बड़ी है, हे परमेश्वर ।
ॐ नम: शिवाय कहूँ मैं,
बिगड़ी दो बनाय कहूँ मैं ।
ॐ नम: शिवाय कहूँ मैं,
बिगड़ी दो बनाय कहूँ मैं ।
भक्तों पर सदा कृपा है डाली,
झोली मेरी भी जाय न खाली ।
-प्रदीप कुमार साहनी
ॐ नम: शिवाय ...
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