चौखट के भीतर का जीवन जीने को मजबूर थी जो,
सहमी हुई सी, दर से दबकर जीने को मजबूर थी जो |
पहले पापा के इज्ज़त को चौखट भीतर बंद रहना,
शादी बाद सासरे में चौखट का उसपे पाबंद रहना |
सपना कोई देख लेना उसके लिए गुनाह होता था,
जीवन जीने का लक्ष्य उसका बच्चे और निकाह होता था |
वो अबला अब बलशाली बन चौखट का दंभ तोड़ चुकी है,
वो नारी स्वयं अपने पक्ष में हवा के रुख को मोड़ चुकी है |
नैनों में चाहत भी होती लक्ष्य भी इनके अपने होते,
चौखट और वो चाहरदीवारी अब तो बस वे सपने होते |
कोई बात नहीं रहा अब इनके हक की बात नहीं जो |
नीति से राजनीति तक हर क्षेत्र में इनकी साझेदारी है,
देश रक्षा से रॉकेट साईंस तक हर चीज में भागेदारी है |
चौखट के भीतर-बाहर, हर तरफ सँभाले रखा है,
अबल से सबला बनकर भी मर्यादा भी सँभाले रखा है |
हर जिम्मा अब अपना इनको खुब निभाना आता है,
घर, गाड़ी या देश हो इनको सब चलाना आता है |
पुरुषों से कंधा हैं मिलाती देश की नारी नहीं है कम,
इस आँधी को बाँध के रखले,चौखट में नहीं वो दम |
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