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Friday, May 27, 2011

नेता बन जाते तो...

संसद में हंगामा हम भी खुब मचाते,
उद्घाटन समारोह में हम भी खुब जाते,
हम तो अंतर्मुखी बन घर में बैठ गए,
वर्ना नेता बन जाते तो हम भी खुब कमाते ।

भाषणबाजी में दो कदम आगे बढ़ जाते,
आरोप प्रत्यारोप हम भी खुब लगाते,
माँ ने कहा बेटा अच्छा इंसान बन,
वर्ना नेता बन जाते तो हम भी खुब कमाते ।

झुठे वादे कर मूर्ख हम भी खुब बनाते,
चुनाव जीतकर जनता के पास भी न जाते,
गुरुजी ने सिखाया था झुठ नहीं बोलना,
वर्ना नेता बन जाते तो हम भी खुब कमाते ।

विदेश भ्रमण का संयोग हम भी कुछ लगाते,
बाहुबलि बन हर तरफ रौब हम जमाते,
जमीर ने कहा सदा भला काम करना,
वर्ना नेता बन जाते तो हम भी खुब कमाते ।

लाल बत्ती लगा गाड़ी हम भी खुब दौड़ाते,
बड़े-बड़े अफसरों को हम भी पीट आते,
अंतर्मन ने कहा कभी दिखावा नहीं करना,
वर्ना नेता बन जाते तो हम भी खुब कमाते ।

स्विस बैंक में खाता हम भी एक खुलवाते,
काली कमाई को उसमे आराम से छुपाते,
'काला धन राख समान' सीखा है हमने,
वर्ना नेता बन जाते तो हम भी खुब कमाते ।

दो-एक बार भले जेल भी हम जाते,
पैसों के बल पे अपनी ईज्जत हम बचाते,
पिताश्री ने बेटे को इंजीनियर बना दिया,
वर्ना नेता बन जाते तो हम भी खुब कमाते ।

16 comments:

  1. khoob kamate aap agar neta ban jate,
    par jimmedari se bachne ka iman kahan se late.
    abhi bhi kahan der hui hai pradeep ji yahi to kshetra hai jahan ''na umra ki seema hai ,na yogyata ka bandhan''
    all the best.hamari vote pakki hai.

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  2. स्विस बैंक में खाता हम भी एक खुलवाते,
    काली कमाई को उसमे आराम से छुपाते,
    'काला धन राख समान' सीखा है हमने,
    वर्ना नेता बन जाते तो हम भी खुब कमाते ।

    kya baat hai bahut jordat ktaksh
    very nice dost ji :)

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  3. नेताओं पर अच्छा कटाक्ष किया है ..

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  4. कटाक्षों से भरी सुन्दर रचना

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  5. एक दम सटीक व्यंग्य किया है दोस्त.

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  6. सच्ची में जी .........आपने तो नेता बनने के बड़े फायदे गिना डाले !!

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  7. नेता बन जाते तो आपके लिए बढ़िया होता लेकिन फिर आप हमारे न होते !

    'भइया,यदि मैं नेता होता...' नाम से एकठो मेरी भी पोस्ट है !

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  8. wow
    this one is pretty good !!!
    Nice expressed.

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  9. नेता नमक जानवर को अच्छा परिभाषित किया ,,
    सब उनको हैं खूब गरियातें
    काम आने पर फिर रिरियाते

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  10. धारदार कविता है। बधाई और आशीष। हां, एक बात और...
    नेता बन जाना आसान नहीं
    अपनी अस्मत को मार
    चोरी-चकारी और चापलूसी की
    जुगाली तो आसान है
    उसे मुंह दिखाना आसान नहीं।

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  11. बड़े-बड़े अफसरों को हम भी पीट आते....हा हा हा...शुक्र है इंजिनियर बने. बहुत बढ़िया कविता

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