( सभी पंक्तियों का पहला अक्षर मिलाने पर "नया साल सबके लिए सुखद एवं मंगलमय हो" )
नवरंग सी उमंग लिए,
या आसमान के जैसे खुले विचार;
सागर से भी गहरी सोच या,
लश्कर लिए ख़ुशी का, गम दरकिनार|
सरस कर इन चार लम्हों को,
बरसती सावन की बूंदों का झार;
केंद्र में लिए लक्ष्य को अपने,
लिख दे हर दिल में बस प्यार ही प्यार|
एक अकेला चल पथ में,
सुप्त पड़ जाये गर ये संसार;
खबर दे सबको बस खुशियों भरा,
दवा बन सबका, लगा दे पार|
एकल व्यक्तित्व गर ढह भी जाये,
वंदन और पूजन न हो तार-तार;
मंगल पथ में कर मगल कर्म,
गर आ भी जाये दुखते आसार|
लय पर सीधा चलते चल,
मर्म तब जानेगा जीवन के चार;
यह मान ले पथ में सिर्फ कांटें नहीं हैं,
होगा भला करले भला अपार|
naya saal aapko v mubarak ho...........
ReplyDeletegud effort........
i like
नया साल सबके लिए सुखद एवं मंगलमय हो. अच्छा विचार है.
ReplyDeletepradeep ji aapki kavita padhi aur sahi batoon ya galat jhooth bolne ki aadat nahi hai aur na hi chaploosi aati hai abhivyakti sundar hai aap apne jin bhavon ko itni khoobi se vyakt kar rahe hain main bhi usme saksham nahi hoon,lage rahiye kavita me aur nikhar aayega..mere kaushal.kanoni gyan blog par bhi aayen...
ReplyDeleteसकारात्मक भाव लिए सुन्दर प्रस्तुति .नव वर्ष हो मंगल मय सबको .शुक्रिया आपके नेह निमंत्रण का चर्चा मंच पे बिठाने का .सादर
ReplyDeleteनये साल पर नूतन प्रयोग बहुत अच्छा लगा प्रदीप जी |आपको भी नव वर्ष के लिए हार्दिक शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteआशा
अति सुन्दर अभिव्यक्ति। सफल प्रयास। नव-वर्ष मंगलमय हो, इस आशा और विश्वास के साथ।
ReplyDeleteआनन्द विश्वास
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...नववर्ष मंगलमय हो!
ReplyDelete