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Saturday, January 8, 2011

पहली मुलाकात

( अपनी धर्म पत्नी, अपने प्यार के साथ पहली मुलाकात के वास्तविक पल को मैंने कविता के रूप में लिखने कि कोशिश कि है, पता नहीं मेरी कोशिश कहाँ तक सफल हुई है  )

दिल में बसी थी एक सूरत, होठों पे एक नाम था;
वास्तविकता से कुछ परे नहीं था, फिर भी मैं अनजान था |

मन में कई उन्माद थे, दिल में भी एक जूनून था;
ऑंखें दो से चार कब होंगी, सोच कर न सुकून था |

बस एक छवि है जिसकी देखि, वास्तविकता उसकी क्या होगी;
कुछ खुशियाँ तो कुछ उलझन भी थे, प्रतिक्रिया उसकी क्या होगी |

कशमकश में ही रात कटी थी, आने वाली सौगात जो थी;
पल-पल भी मुश्किल हो चल था, होने वाली मुलाक़ात जो थी |

शमाँ भी कुछ अजीब-सा था, जिंदगियों का वहां झोल था;
रेलगाड़ियों का ही शोर था, वह स्टेशन का माहौल था |

सुबह का खुशनुमा वक़्त था, रंगीला मौसम चहुँ और था;
तनहाइयाँ नहीं, बस भीड़ थी, पर न जाने वो कीस ओर था |

धड़कने तो तेज उधर भी होंगी, लब भी उनके फड़फड़ाते होंगें;
पहली मुलाकात ये कैसी होगी, सोच के वो भी घबराते होंगे |

ये सोच के मैं दिल ही दिल में, दिल को तसल्ली देता था;
घबराहट कहीं सामने न आये, धडकनों को यूं समझाता था |

वो घडी तब आ ही गयी, चितचोर थे जो सामने आते;
अब तक जिसे बस दिल में देखा, वो आँखों के सामने आते |

धडकनों को तेज होना ही था, मन भी तब कुछ घबराया;
होठों पे मुस्कराहट थी आई, पहली मुलाकात का वक़्त जब आये |

हजारों के बीच जब उनको देखा, हम वही बस ठिठक से गए;
उनकी नज़रें भी मुझपे पड़ी, ओर उनके कदम भी रुक से गए |

नज़रों से नज़र का सामना जब हुआ, दिल में अजीब एक हुक सा लगा;
हजारों नहीं, बस हम ओर वो थे, दो पल के लिए कुछ ऐसा लगा |

उन भूरी आँखों में बस गहराई थी, उन गहराइयों में बस प्यार था;
फूलों से भी कोमल लब थे, मुस्कान का उनमे भण्डार था |

मुस्कुराता हुआ वो भोला चेहरा, जिसे अब तक था दिल में छुपाया;
जो कुछ भी था हमने सोचा, दिल ने तो कुछ बढ़कर पाया |

हाथों का स्पर्श जब हुआ, खुशियों के बादल छा गए;
नज़रें उनकी देख कर लगा, प्यार के बरसात आ गए |

कानों कि प्रतीक्षा भी टूटी, लब भी उनके खुल ही गए;
दिल कि बात को दिल ही दिल में, वो हमसे सब बोल ही गए |

थोड़ी -सी शर्म, थोड़ी-सी हया, घबराहट में उनके वो बोझिल कदम;
साथ-साथ हम चल ही पड़े थे, ये साथ निभाना है हरदम |

दिल से दिल का था रिश्ता पुराना, आँखों से आँखों कि थी पहली मुलाकात;
बातें तो कुछ खाश ना हुई, पर दिल ने किये हजारों बात |

ऐसे ही कुछ अजीब-सी थी, प्यार से वो पहली मुलाकात;
खुशियों का सागर छलका था, मचले थे दिल के जज्बात |

खाश न होकर भी खाश थी, पहली मुलाकात का वो पल;
जिंदगी के हर एक मोड़ पर, याद आएगा वो हर पल |

1 comment:

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