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Friday, June 8, 2012

पहली बरसात


आज हुई पहली बरसात,
बरस गये मेघ आज घुमड़ के,
जगा गए दिल के जज्बात,
आज हुई पहली बरसात |

ताप रहा था कोना-कोना,
गर्मी से आता था रोना,
आह्लादित हो उठी जमात,
आज हुई पहली बरसात |

इन्तजार थे मेघ के,
नयन ताकते नेह से,
ईंद्र देव ने मणि बात,
आज हुई पहली बरसात |

रोज दरश वे दे जाते थे,
सब्र परीक्षा ले जाते थे,
आज दिला के गए निज़ात,
आज हुई पहली बरसात |

मन प्यासा, धरती प्यासी थी,
मरुभूमि में बगिया-सी थी,
तृप्त कर गए वो दिन रात,
आज हुई पहली बरसात |


07.06.2012

7 comments:

  1. सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....

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  2. पहली बरसात की बात ही निराली होती है..
    बहुत सुन्दर चित्रण ..

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  3. पहली बरसात का बहूत आनंद होता है..
    सुंदर रचना...

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  4. अच्छा हैं ना इस मौसम की पहली बरसात हुई ...और खूब हुई ..

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