मेरे साथी:-

Friday, November 15, 2013

आज याद आती है

एक वक़्त ऐसा भी था,
हरेक लम्हा था मेरे आगोश में,
सूने-से आज इस पल में,
उन लम्हों की आज याद आती है |

आँखों के सामने दो आँखें थी,
थोड़ी ख़ामोशी, थोडा प्यार लिए,
रहस्य से भरी सागर जैसी,
उन आँखों की आज याद आती है |

कहने को तो दो होंठ हैं वे,
पर फूलों से भी नाजुक हैं,
कुछ न कहकर भी कहती हुई,
उन होंठों की आज याद आती है |

एक अनमोल-सा दिल भी है,
है जिसमे बस प्यार ही प्यार,
दिल में जगी है एक तमन्ना,
उस दिल की आज याद आती है |

अधखिली-सी एक मुस्कान,
होठों पे हर वक्त रहा था,
दिल में फूल बरसाने वाली,
उस मुस्कराहट की आज याद आती है |

बच्चों की सी बातें उसकी,
अल्हड़पन और प्यार भरी,
लब थिरका दे याद जो करे,
उस आवाज की आज याद आती है |

हर एक अदा दिल को छूती,
जो दुनिया से अनजान बना दे,
हर लम्हे को अनमोल बनाती,
उन अदाओं की आज याद आती है |

वो दूर है फिर भी दिल में है,
पर साथ हम थे ये यादें हैं,
ठंडक दिल को दे जाती,
उन यादों की आज याद आती है |

11.03.2008 

9 comments:

  1. बहुत सुन्दर लययुक्त प्रस्तुति !
    नई पोस्ट मन्दिर या विकास ?
    नई पोस्ट लोकतंत्र -स्तम्भ

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (16-11-2013) को "जीवन नहीं मरा करता है" : चर्चामंच : चर्चा अंक : 1431 पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    मुहर्रम की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. भावो का सुन्दर समायोजन......

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  4. बहुत सुंदर रचना !!

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  5. सुन्दर प्रस्तुति-
    बधाइयाँ आदरणीय-

    ReplyDelete
  6. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete

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