ख़ुशी मिले या गम मिले,
मुश्किल चाहे हरदम मिले,
हर राह में मुझको मिल जाये,
बस एक उसका साथ |
जीवन पथ पर सिर्फ कांटें हों,
चाहे चहुँ और सन्नाटे हों,
सिर्फ एक फूल बस मिल जाये,
बस एक उसका साथ |
खतरों से भरा गलियारा हो,
चाहे बेहद अंधियारा हो,
बस एक चीज़ बस नजर आये,
बस एक उसका साथ |
हो ख़ुदा बड़ा बेदर्द बड़ा,
चाहे दे मुझको दर्द बड़ा,
बस एक दुआ बस दे जाये,
बस एक उसका साथ |
किस्मत का भी साथ न हो,
चाहे अपनों का हाथ न हो,
एक साथ बस मुझे मिले,
बस एक उसका साथ |
मंजिल भले ही दूर लगे,
चाहे बोझ भरपूर लगे,
कुछ और नहीं बस मिल जाये,
बस एक उसका साथ |
हर कष्ट यूँही सह सकता हूँ,
कुछ भी चाहे कर सकता हूँ,
बस वो मिले और मिल जाये,
बस एक उसका साथ |
01.03.2008
ReplyDeleteहर कष्ट यूँही सह सकता हूँ,
कुछ भी चाहे कर सकता हूँ,
बस वो मिले और मिल जाये,
बस एक उसका साथ |
सुन्दर रचना है दुआ पूरी हो दुआ माँगता हूँ।
खुबसूरत अभिवयक्ति..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteनई पोस्ट लोकतंत्र -स्तम्भ
लयबद्ध लेखनी ...बहुत खूब
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