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Friday, February 12, 2016

माँ सरस्वती

२००वीं पोस्ट

( माँ शारदे की असीम अनुकंपा से सरस्वती पूजा के पावन दिन में इस ब्लॉग की २००वीं प्रस्तुति पेश कर रहा हूँ ।
इस ब्लॉग पर सौवीं प्रस्तुति भी सरस्वती पूजा के ही दिन 28-01-2012 को हुआ था ।  बीच में लिखना बंद सा हो गया था, पर माता की कृपा अपरम्पार है ।)
वंदन करुँ हे सरस्वती, आस कृपा का हाथ ।
नित माते मैं ध्यान धरुँ, हो स्नेह बरसात ।।

पूजूँ माते आपको, ले पुष्प की माल ।
दया दिखाना बस तनिक, उन्नत हो यह भाल ।।

ज्ञान दीप बस जल सके, दे इतना आशीष ।
मन ही मन में नाम जपुँ, घंटे मैं चौबीस ।।

परमारथ के मार्ग पर, रहुँ अटल अविचल ।
भक्ति भाव हृदय रहे, पावन व निश्छल ।।

हे माते इस अज्ञ को, दे देना प्रसाद ।
मानस में स्वच्छ भाव रहे, नहीं कोई अवसाद ।।

कलम यूँही चलती रहे, मात ये रखना ध्यान ।
सेवक हूँ वीणापाणि माँ, सदा ही रखना मान ।।

जय जय माते मैं करुँ, हंस विराजिनि आप ।
मेरी लेखनि अस्त्र-शस्त्र, यही मेरा सर-चाप ।।

चतुर्भुजी माँ शारदे, हाथ जोड़ हे प्रणाम ।
आपके ही आशीष से, मिले नए आयाम ।।

१००वीं पोस्ट

सभी को माँ सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

-प्रदीप कुमार साहनी

Thursday, February 11, 2016

ॐ -हे भोलेनाथ- ॐ


हे भोलेनाथ मैं करुँ निवेदन,
आप हो दानी, मैं अकिंचन ।

आप नाथ हो हे त्रिपुरारी,
दास हूँ मैं भोले भंडारी ।



सत्य, शिव और आप हैं सुन्दर,
पूजे जिनको स्वयं ही इंदर ।

अवढर दानी आप को माने,
तनिक हमारे कष्ट भी जाने ।

शिवा समेत कैलाश विराजे,
नाग गला, चन्द्र शीष में साजे ।

महादेव हे हर-हर, हर-हर,
कृपा बनाना नाथ डमरूधर ।

बंदऊँ हे त्रिनेत्र के स्वामी,
चरण वंदना अंतर्यामी ।

कालों के भी काल आप हो,
भूतनाथ विशाल आप हो ।

सोमनाथ हे, आप रामेश्वर
आस बड़ी है, हे परमेश्वर ।

ॐ नम: शिवाय कहूँ मैं,
बिगड़ी दो बनाय कहूँ मैं ।

भक्तों पर सदा कृपा है डाली,
झोली मेरी भी जाय न खाली ।

-प्रदीप कुमार साहनी

Wednesday, February 10, 2016

प्रिये क्यों

तनिक विलंब जो हुई है हमसे,
मुख मंडल यूँ क्षीण प्रिये क्यों,
अति लघु सी एक बात पे तेरे,
नैन यूँ तेज विहीन प्रिये क्यों ?

प्रेम प्रतीक्षा का सुख हमने,
भोग लिया है आज परस्पर,
जैसे तुम अधीर यहाँ थी,
मैं भी न धरा धीर निरंतर ।

मधुर मिलन की इस बेला में,
मन ऐसे मलीन प्रिये क्यों,
सुखदायक क्षण में ऐसे यूँ,
हृदय ये ऐसा दीन प्रिये क्यों ?

आलिंगन आतुर भुज दोनो,
मौन मनोरथ में हैं लागे,
अभिलाषा तेरी भी ऐसी,
क्यों न फिर आडंबर भागे ?

अधर हैं उत्सुक, करें समर्पण,
पद तेरे गतिहीन प्रिये क्यों ?
हृदय दोऊ हैं एक से आकुल,
अब भी लाज अधीन प्रिये क्यों ?

नयन भाव विनिमय को बेकल,
अधर सुस्थिर क्या है माया,
तू मुझमे निहित प्रिये है,
और मुझमे तेरी ही छाया ।

श्वास मध्य न भिन्न पवन हो,
प्रेम में न हो लीन प्रिये क्यों,
अंतर्मन भी एक हो चले,
खो न हो तल्लीन प्रिये क्यों ?

-प्रदीप कुमार साहनी

शायरी अगर है करनी, प्यार कर लो

शायरी अगर है करनी, प्यार कर लो,
शिद्दत से हुश्न-ए-दीदार कर लो ।

महबूब को पहले दिल से परख लो,
दिल तोड़ने की शर्त खुद ही रख लो ।

ये इश्क मुआ ऐसा, सबकुछ करा देगा,
कामयाब न हो पर शायर बना देगा ।

आँखों पे उसकी शायरी करो तुम पूरी,
पुल बाँधों तारीफ के, ये पाठ है जरुरी ।

मिलन पे लिखो और लिखो जब जुदाई,
हर अदा पे लिखो, लिखो जब ले अँगड़ाई ।

कलम में तेरे उस वक्त आयेगा धार,
दिल टूट जायेगा, तब शायरी में निखार ।

फिर क्या, शायरी की तब आयेगी बाढ़,
हर लफ्ज होगा तेज, हर पंक्ति होगी गाढ़ ।

टूटा हुआ ये दिल इस कदर सदा देगा,
हर लफ्ज बनेगी शायरी जब यार दगा देगा ।

बेवफाई और दर्द पे करो नज्म का ईरादा,
आह पे, कराह पे वाह वाह होगी ज्यादा ।

सनम न रहे पर शायर होगे तब पूरे,
दिल के जज्बात लिखो, रह गए जो अधूरे ।

मुकम्मल इश्क न मिला, तो शायरी ही करो,
मुशायरे की बढ़ाओ शान और डायरी ही भरो ।

शायरी अगर है करनी तो ये नुस्खा है नायाब,
चुन ही लो महबूब को, इश्क करो जनाब ।

प्रदीप कुमार साहनी

Tuesday, February 9, 2016

वीर लड़ाका तुझे नमन है

हे वीर लड़ाका तुझे नमन है,
लाल भारती तुझे नमन है ।

हर मुश्किल से लड़ लेते हो,
शौर्य सहित सब सह लेते हो ।
दुश्मन को हुँकार दिखाते,
कैसी भी दशा में रह लेते हो ।

युद्ध स्थल ही तेरा चमन है,
वीर लड़ाका तुझे नमन है ।

दुश्मन से हो देश बचाना,
या बाढ़ से हमे बचाना,
प्राकृतिक विपदा हो कोई,
तुझको बस आता है बचाना ।

तुझसे ही फैला ये अमन है,
वीर लड़ाका तुझे नमन है ।


है आतंक से लोहा लेते,
सीमा पर भी सुरक्षा देते,
बर्फीले धरती पर भी तो,
भारत माँ की लाज बचाते ।

वतन परस्ती तेरा लगन है,
वीर लड़ाका तुझे नमन है ।

अपना सुख तुझे याद कहाँ है,
जोखिम से भरा तेरा जहाँ है,
भारत को परिवार बनाया,
परिजन को भी त्यागा यहाँ है ।

न्योच्छावर तूने किया जनम है,
वीर लड़ाका तुझे नमन है ।

-प्रदीप कुमार साहनी

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