एक वक़्त ऐसा भी था,
हरेक लम्हा था मेरे आगोश में,
सूने-से आज इस पल में,
उन लम्हों की आज याद आती है |
आँखों के सामने दो आँखें थी,
थोड़ी ख़ामोशी, थोडा प्यार लिए,
रहस्य से भरी सागर जैसी,
उन आँखों की आज याद आती है |
कहने को तो दो होंठ हैं वे,
पर फूलों से भी नाजुक हैं,
कुछ न कहकर भी कहती हुई,
उन होंठों की आज याद आती है |
एक अनमोल-सा दिल भी है,
है जिसमे बस प्यार ही प्यार,
दिल में जगी है एक तमन्ना,
उस दिल की आज याद आती है |
अधखिली-सी एक मुस्कान,
होठों पे हर वक्त रहा था,
दिल में फूल बरसाने वाली,
उस मुस्कराहट की आज याद आती है |
बच्चों की सी बातें उसकी,
अल्हड़पन और प्यार भरी,
लब थिरका दे याद जो करे,
उस आवाज की आज याद आती है |
हर एक अदा दिल को छूती,
जो दुनिया से अनजान बना दे,
हर लम्हे को अनमोल बनाती,
उन अदाओं की आज याद आती है |
वो दूर है फिर भी दिल में है,
पर साथ हम थे ये यादें हैं,
ठंडक दिल को दे जाती,
उन यादों की आज याद आती है |
11.03.2008