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Wednesday, April 23, 2008

हरे राम का तोता

आग, पानी से दूर ही रहो,
एक जलाती, एक डुबाती  है;
मत मोलो खतरा,
बोले, हरे राम का तोता।

डर, आलस के पास न जाओ,
एक रोकती, एक रुकवाती है;
आए खतरा तो लडो,
बोले, हरे राम का तोता।

पैसा, लड़की को समझ से झेलो,
एक भागती, एक भगाती है;
जानकारी ही बचाव,
बोले, हरे राम का तोता।

प्यार, दोस्ती को मिक्स मत करो,
एक सवांरता, एक बचाता है;
दोनों का दरकार,
बोले, हरे राम का तोता।

नशा, पढ़ाई के अंत को जानो,
एक गिराती, एक उबारती है;
नशा नहीं थोड़ा भी,
बोले, हरे राम का तोता।

गम, खुशी के भेद को समझो,
 एक रुलाती, एक हँसाती है;
मस्ती ही हो फितरत,
 बोले, हरे राम का तोता।

Tuesday, April 22, 2008

यंग इंडिया

कल तक जो था नामुमकिन,
उसको भी आसान कर दिया;
जोश और जूनून से भरी,
यह है नई यंग इंडिया।

हर रोज नई तरकीब निकाले,
हर रोज नया एक खोज करे;
शार्टकट में हर काम करने वाली,
यह है नई यंग इंडिया।

पीढियों की जिंदगी से उब सी चुकी,
लोअर लिविंग को गुड बाय कह दिया;
नयापन और नई ताजगी के साथ,
यह है नई यंग इंडिया।

जातिवाद, धर्मभेद नहीं कुछ,
हर नियम को लगभग बदल ही दिया;
अलग सोच के साथ बिल्कुल मनमौजी,
यह है नई यंग इंडिया।

अपनी सभ्यता रास न आती,
पाश्चात्य को ही अपना बना लिया;
फैशन और चकाचौंध की मारी,
यह है नई यंग इंडिया।

दोस्ती के नए तरीके और बहाने खोजती,
मोबाइल और नेट से ही सबकुछ कर लिया;
विपरीत लिंग के पीछे पागल-सी,
यह है नई यंग इंडिया।

गंभीरता नाम की अब चीज़ न कोई,
मस्ती को ही फितरत कर लिया;
क्रिकेट और फिल्मों की दीवानी,
यह है नई यंग इंडिया।

Friday, April 18, 2008

याद में उसके

याद में उसके जीवन मरण बन गया,
गम का चादर मेरा कफ़न बन गया;
जलती रही सांसे, सुलगते रहे अरमान,
दूर रहकर जीना अब तड़पन बन गया।

कम हुई आस जब पाने की उसको,
नस-नस का खून जैसे अगन बन गया;
गम इस काले संसार में देखो,
ठंडा हवा का झोंका गर्म पवन बन गया।

याद कर उसको छलकती हैं आँखें,
आन्हें भरते जीना अब चलन बन गया;
नाम लेकर उसका जख्मों को सीना,
अश्कों को पीना ही लगन बन गया।

यादों की दुनीया गम से भरी पड़ी,
अंत नहीं जीसका वो गगन बन गया;
एक ही तस्वीर अपने मन में लीये,
यादों में उसके मैं मगन बन गया।

पलकों पर लीये अश्कों का भार,
हर लम्हा अन्तीम चरण बन गया;
गम के आग में कुछ ऐसा तप,
तन मेरा प्राण रहीत बदन बन गया।

याद

एक आग सी दील मी लगती है, एक तीर जीगर में चलता है;
जब याद इसी की आती है, एक दर्द सा दील में उठता है।

सिर्फ एक झलक बस पाने को, ये नैन तरसने लगते हैं;
ये हालत उसे बताने को ये होंठ तड़पने लगते हैं।

आहट उसकी सुनने को ये कान फड़कने लगते हैं;
और सोच के उसकी बातों को ये आँख बरसने लगते हैं।

ये जाती नहीं जब आती है, बस आती है और आती है;
बेखबर करके दुनीया से, ये याद बहुत सताती है।

जब याद की बदरी छाती है, हर शमा धुंधला होता है;
हर रात ही काली होती है, जब याद कीसी की आती है।

Thursday, April 17, 2008

चल कह कोई कहानी

माईंड हो रहा बोर , जाऊँ मैं किस और;
ये रात है सुहानी, चल कह कोई कहानी।

सो जाऊँ मैं कैसे, नींद आती नहीं ऐसे,
मच्छरों की है जवानी, चल कह कोई   कहानी |

लाइफ हो गया चौपट, सुबह बोलेगा पोपट;
न जोश है न रवानी, चल कह कोई कहानी।

नेट में करूँ ओरकुट, या खाऊँ कोई बिस्कुट;
हमे होगी नहीं आसानी, चल कह कोई कहानी।

फिल्मों का है जमाना, सब गातें हैं तराना;
दुनिया बिपाशा की दीवानी, चल कह कोई कहानी।

शाहरुख़ करेगा कॉमेडी, अक्षय करेगा ट्रेजेडी;
फ़िल्म मांगेगा नहीं पानी, चल कह कोई कहानी।

सचिन ने मारा चौका, या धौनी मारेगा छक्का;
मेरे बाप का क्या जानी, चल कह कोई कहानी।

पढ़ाई पे है ध्यान नहीं, GK का कोई ज्ञान नहीं;
है हर बात याद दिलानी, चल कह कोई कहानी।

उसका नंबर उससे लो, नाम पता सब ख़ुद से लो;
लड़की आती नहीं पटानी, चल कह कोई कहानी।

फ्लर्ट करते हो लड़की से, पॉकेट खाली है कड़की से;
याद आयेगी तुझे नानी, चल कह कोई कहानी।

नाचते हो बहुत ताल में, ध्यान है केवल माल में;
एक बात भी न मानी, चल कह कोई कहानी।

मोबाइल से सिर्फ चीपके रहो, मिस कॉल करो पर छिपके रहो;
कहो, बैलेंस नही मेरी रानी, चल कह कोई कहानी।

हर किसी को है पकड़ा, ख़ुद बन गए हो बकरा;
दिमाग की बत्ती है जलानी, चल कह कोई कहानी।

खाते रहो बस खाना, FM में सुनो गाना;
मस्ती करो दिलजानी, चल कह कोई कहानी।

न बनो कभी भी बोतल, बस हँसते रहो टोटल;
स्माइल बनाओ निशानी, चल कह कोई कहानी।

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-प्रदीप