श्री राम लला |
चलो अवध का धाम
भाई रे, चलो अवध का धाम ।
चलो अवध का धाम
बंधु रे, चलो अवध का धाम ।
श्री सरयू घाट |
सरयू तट पर बसा मनोरम ,
कण-कण पावन धरा यहाँ की ;
दरश मात्र सब पाप भगाता ,
है सुधा-सी हवा जहाँ की ।
सब सुर, देवी यहाँ विराजे ,
जहाँ जन्म लिए राम ।
भाई रे, चलो अवध का धाम ।
बन्धु रे, चलो अवध का धाम ।
कनक भवन है दिव्य यहाँ पे ;
राम जन्म भूमि दर्शन कर लो ,
पहर-पहर हर बेला-बेला ,
गूंजता राम का नाम ।
भाई रे, चलो अवध का धाम ।
बन्धु रे, चलो अवध का धाम ।
बलि बजरंगा स्वयं पधारे ;
लखन, सिया संग राम यहाँ पे ,
झूले झूलन सावन सारे ।
भर लो मन में श्रद्धा प्रभु की,
बोलो जय सिया राम ।
भाई रे, चलो अवध का धाम ।
सही कहा आपने .सुन्दर सामायिक रचना
ReplyDeleteकभी इधर का भी रुख करें
सादर मदन
सुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
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सरयू तट पर बसा मनोरम ,
कण-कण पावन धरा यहाँ की ;
दरश मात्र सब पाप भगाता ,
है सुधा-सी हवा जहाँ की ।
भाई रे, चलो अवध का धाम ।
बन्धु रे, चलो अवध का धाम ।
वाऽहऽऽ…!
प्रिय बंधुवर प्रदीप कुमार साहनी जी
हम सबको अवध धाम की घर बैठे यात्रा कराने का आपको प्रभु रामजी अवश्य पुण्य देंगे...
सुंदर रचना के लिए साधुवाद
आपकी लेखनी से सदैव सुंदर श्रेष्ठ सार्थक सृजन होता रहे...
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत ही सुन्दर सामायिक रचना सहनी जी
ReplyDeleteसुन्दर चित्र से सजी बढ़िया रचना |
ReplyDeleteआशा
भर लो मन में श्रद्धा प्रभु की,
ReplyDeleteबोलो जय सिया राम ।
भाई रे, चलो अवध का धाम ।
बन्धु रे, चलो अवध का धाम ।
बहुत सुन्दर भाव अर्थ की समन्विति ,काव्य सौष्ठव -
क्षेपक (उत्तर अंश )देखें :
पीछे पीछे सिया चलत हैं ,
आगे आगे राम ,
बंधू रे यही अवध की शाम ,
लखन कहें यही अवध की शाम ,
बंधू सब ले लो प्रभु का राम ,
नहीं अब और किसी से काम ,
हमारे तो हैं केवल राम।
कहें सब निर्बल के बल राम।
सुन्दर चित्र के साथ बहुत सुन्दर कविता!
ReplyDeleteLatest post हे निराकार!
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श्री राम जय राम जय जय राम !!
ReplyDeleteजय सिया राम !!!!
श्री राम जय राम जय जय राम !!
ReplyDeleteजय सिया राम !!!!
बहुत सुंदर .
ReplyDeletebahut hi sundar prastuti , ayodhyaa ka darshan bhi ho gaya . badhai .
ReplyDeletemaine ise apni face book par share kiya hai .
शुभकामनाएं। आप हमेशा रचनाशील बने रहें।
ReplyDeleteखूबसूरत प्रस्तुति
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