मेरे साथी:-

Sunday, August 5, 2012

बिन दोस्ती

क्या होता शमा ये क्या बताऊँ यारों,
भगवान न होते और ये बंदगी न होती;
दोस्तों के बिना शायद कुछ भी न होता,
ये सांसें भी न होती, ये जिंदगी न होती |

खुशियाँ न होती और मुस्कान भी न होते,
जिस्म तो होता पर उसमे जान भी  न होती;
रहता अधूरा शायद हर जश्न-ए-जिंदगी,
दोस्तों के बना अपनी शान भी न होती |

नर्क सा होता उस स्वर्ग का भी मंजर,
महफिल भी शायद वीरान-सी ही होती;
दोस्ती है मिश्रण हर रिश्ते का "दीप",
जिंदगी बिन लक्ष्य के बाण-सी ही होती |

(सभी मित्रों को समर्पित यह रचना)

1 comment:

  1. दोस्ती ऐसी करो,जो अपने मन को भाय
    वक्त पर काम आवे,जीवन साथ निभाय,,,,

    RECENT POST...: जिन्दगी,,,,

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