मेरे साथी:-

Saturday, July 7, 2012

काश तुम समझ पाते


काश तुम समझ पाते,
कि जब चुना था तुम्हें,
तो कितना विश्वास था तुमपे,
अच्छा जँचे थे तुम;

बेहतर लगे थे सबसे,
सबसे सच्चे भाते,
बहुत आस था तुमसे,
काश तुम समझ पाते |

थे तो कई,
मैदान में लेकिन,
तेरे ही नाम को,
पसंद किया हमने;

इन बातों पे थोड़ा,
तुम गौर तो फरमाते,
भावनाओं को हमारी,
काश तुम समझ पाते |

यूं सिला दोगे,
यूं रुलाओगे हुमे,
भूल जाओगे सबकुछ,
ये सोचा न था;

चुनाव को हमारे,
तुम सही तो ठहराते,
बहुत खुशी होती हमे,
काश तुम समझ पाते |

चुन करके गए,
फिर दर्शन भी न हुए,
ज्यों जन-प्रतिनिधि नहीं,
ईद का चाँद हो गए;

कभी-कभार तो आते,
बस हाल ले के जाते,
गर्व होता हमको,
काश तुम समझ पाते |

आज हम परेशान हैं,
तरह तरह की समस्याओं से,
हमारे बीच के होके भी,
तुम हमारे न रहे;

हर वोट की कीमत,
ऐ काश तुम चुकाते,
बन जाते महान,
काश तुम समझ पाते |

जन-जन है लाचार,
दो रोटी को तरसते,
और लगे हो तुम,
झोली अपनी भरने में;

निःस्वार्थ होकर थोड़ा,
परमार्थ भी दिखाते,
सच्चा नेता कहलाते,
काश तुम समझ पाते |

7 comments:

  1. निःस्वार्थ होकर थोड़ा,
    परमार्थ भी दिखाते,
    सच्चा नेता कहलाते,
    काश तुम समझ पाते |

    RECENT POST...: दोहे,,,,

    ReplyDelete
  2. थोडा धैर्य धरिये .... !!
    5 साल के बाद फिर आयेगें नए - नए वादों के साथ .... !!
    इंतजार इंतजार इंतजार इंतजार इंतजार इंतजार इंतजार .... !!

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सहज शब्दों में कितनी गहरी बात कह दी आपने..... खुबसूरत अभिवयक्ति....

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर भावभीनी अभिव्यक्ति...
    :-)

    ReplyDelete
  5. bahut sunder abhivyakti........

    ReplyDelete
  6. खूबसूरत अभिव्यक्ति

    ReplyDelete

कृपया अपनी टिप्पणी दें और उचित राय दें | आपके हर एक शब्द के लिए तहेदिल से धन्यवाद |
यहाँ भी पधारें:-"काव्य का संसार"

हिंदी में लिखिए:

संपर्क करें:-->

E-mail Id:
pradip_kumar110@yahoo.com

Mobile number:
09006757417

धन्यवाद ज्ञापन

"मेरा काव्य-पिटारा" ब्लॉग में आयें और मेरी कविताओं को पढ़ें |

आपसे निवेदन है कि जो भी आपकी इच्छा हो आप टिप्पणी के रूप में बतायें |

यह बताएं कि आपको मेरी कवितायेँ कैसी लगी और अगर आपको कोई त्रुटी नजर आती है तो वो भी अवश्य बतायें |

आपकी कोई भी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण होगा |

मेरे ब्लॉग पे आने के लिए आपका धन्यवाद |

-प्रदीप