चंद लम्हों की जिंदगी है खुशगवार होनी चाहिए,
खुशगवार मौसम के लिए थोडा प्यार होना चाहिए |
प्यार ही है नेमत और ये प्यार ही है पूजा,
पर प्यार है तो थोड़ी-सी तकरार होनी चाहिए |
तकरार से बढती है खूबसूरती इस प्यार की,
तकरार के साथ-साथ इजहार होना चाहिए |
इजहार न होके अगर हो जाये इनकार,
इनकार में भी रजामंदी बरक़रार होना चाहिए |
मुश्किलें हो, कांटे हो या हो लोहे की दीवार,
जो भी हो पर थोडा प्यार होना चाहिए |
नैनों के बाण जरा सोच के चला ज़ालिम,
आँखों के तीर दिल के पार होने चाहिए |
छलनी कर डालो भले इस दिल को लेकिन,
घायल मजनू को लैला का दीदार होना चाहिए |
जिंदगी हो भरा मौसम-ए-बहार से ऐ "दीप",
जिंदगी भर खिला दिल-ए-गुलजार होना चाहिए |
जख्म हो, दर्द हो या हो दिल पे कोई वार,
जो भी हो पर थोडा प्यार होना चाहिए |
वाह ,,,, बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteRECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....
बहुत बहुत धन्यवाद आपका |
Deleteबहुत बढ़िया लिखा है आपने मगर शायद पहली पंक्ति में चाँद की जगह चंद होना चाहिए था ऐसा मुझे लगता है एक बार देखलें....आभार
ReplyDeleteप्यार को परिभाषित करती आपकी ये रचना बहुत अच्छी लगी...बधाई.
ReplyDeleteनीरज
आपका धन्यवाद |
Deleteबहुत बहुत आभार |
ReplyDeleteप्यार की खुबसूरत अभिवयक्ति.....
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