खामोश हैं निगाहें,
जुबानों पे हैं ताले,
घिरे हैं नकाबपोशों से,
दिखते नहीं उजाले,
घबराये से हैं,
कोशिश है संभलने की,
छंट जाये ये बदल,
हट जाये ये जाले |
मुश्किलें भी हैं,
पांवों में हैं छाले,
पर मस्ती में ही हैं,
हम मतवाले,
दंभ नसीब का,
टूटकर बिखरेगा ही,
हिम्मत नहीं खोना,
चाहे निकल जाये दीवाले |
करना नहीं खुद को,
किस्मत के हवाले,
साहस की ही घुट्टी,
पियेंगे भर प्याले,
फलक तक होगी,
अपनी भी उड़ान,
आस का दामन,
न छोड़े हम जियाले |
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव संयोजन से सुसजित सकारात्मक प्रस्तुति....
ReplyDeleteprerak rachna, sundar bhaav.
ReplyDeleteदंभ नसीब का ,टूटकर विखरेगा ही.... !
ReplyDeleteकरना नहीं खुद को ,किस्मत के हवाले.... !
हिम्मते मर्दा ,मद्दे खुदा , को सच्च साबीत करती रचना.... !!
sundar!
ReplyDeletehonsla badhaati hui rachna bahut achchi.
ReplyDeleteप्रोत्साहित करती रचना ..
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.in
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteबहुत प्रेरक और सुंदर अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteसुंदर , प्रेरक एवं उत्साहवर्धक रचना है ...
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा आपने,बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति
ReplyDeleteNEW POST.... ...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
उत्साहवर्धक लेखनी
ReplyDeleteसमाज के घुटन की अभिव्यक्ति है इन पंक्तियों में..
ReplyDeleteसोचने पर मजबूर करने वाली रचना ...बधाई !
ReplyDelete