"पेड़ लगाओ, देश बचाओ !!"
बहुत पुराना है नारा ;
हकीकतन इससे सबने
पर कर लिया किनारा |
वो औद्योगीकरण के नाम पे,
जंगल के जंगल उड़ाते हैं;
पेड़ काट के नई इमारतों का,
अधिकार दिए जाते हैं |
नीति कुछ ऐसी है-
"जंगल हटाओ, विकास रचाओ !"
पर कहते हैं जनता से,
"पेड़ लगाओ, देश बचाओ !!"
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति, बधाई
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteअरे भैय्या जी कितनी जगह लगा दी आपने यह पोस्ट?
धन्यवाद शुक्ला जी | आभार |
ReplyDeleteशास्त्री जी आभार | एक जगह ज्यादा पाठक आते नहीं इसलिए ज्यादा जगह लगा दिया | 2-3 भी आयेंगे एक जगह तो कुल 10 से ज्यादा हो जायेंगे |
ReplyDeleteरविकर जी धन्यवाद |
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता है...सुंदर सन्देश लिए ....
ReplyDeleteAchchhi prerak rachna...Badhai swiikaren.
ReplyDeleteभाव शानदार हैं. करारा प्रहार है.
ReplyDeleteदुनाली पर आएं, आपका स्वागत है-
पिगविजय की चिट्ठी पहुंची भालेगण सिद्धी
चैतन्य जी आभार | इसी तरह ब्लॉग में आते रहें |
ReplyDeleteनीरज जी धन्यवाद |
ReplyDeleteM.Singh जी धन्यवाद |
ReplyDeleteप्रदीप कुमार जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, "पेड़ लगाओ, देश बचाओ !!" यही नारा हर किसी ने अपने जीवन में अंगीकार करना होंगा. तभी हम सब चैन की साँस ले पाएंगें.
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