नहीं रहा अब
दुनिया पे यकीन,
भरोसे जैसी कोई
अब चीज कम है ;
दुनिया पे यकीन,
भरोसे जैसी कोई
अब चीज कम है ;
बदल गये लोग
बदल गई मानसिकता,
बदल गई सोच
खतम हुई नैतिकता ;
हमने ही सब बदला
और कहते हैं आज
कि अच्छी नहीं रही
अब आबो हवा |
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-प्रदीप
बहुत सुन्दर प्रस्तुति, बधाई स्वीकारें /
ReplyDeleteshandaar prastuti...kya baat hai ek jamane se darshan nahi hue aapke mere blog per...badhayee aaur amantran ke sath
ReplyDeleteसमय मिले तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeletehttp://mhare-anubhav.blogspot.com
सुन्दर प्रस्तुति, बधाई
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत प्रस्तुति ||
ReplyDeleteबधाई महोदया ||
धन्यवाद S.N.SHUKLA जी |
ReplyDeleteआशुतोष जी बहुत बहुत धन्यवाद |
ReplyDeletePallavi जी आपका आभार ब्लॉग में आने के लिए |
ReplyDeleteकुश्वंश जी बहुत-बहुत धन्यवाद |
ReplyDeleteरविकर जी, आपका आभार |
ReplyDeleteनीरज जी आपका धन्यवाद |
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