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Saturday, February 13, 2016

खो दिए फिर हमने वीर

देश की शान के लिए खड़े जो,
हर मुश्किल में रहे अड़े जो,
मौत से हारे वो आखीर,
खो दिए फिर हमने वीर ।

मातृभूमि की लाज के लिए,
लड़ते रहे जो जीवन भर,
अमन-चैन के लिए जिये वो,
कभी नहीं उन्हे लगा था डर ।

प्रकृति से हार गए वो,
जीवन अपना वार गए वो,
चले तोड़ जीवन जंजीर,
खो दिए फिर हमने वीर ।

कभी हैं छल से मारे जाते,
कभी अपनो से धोखा खाते,
आतंक को धूल सदैव चटाया,
कर्तव्य को पर नहीं भुलाते ।

अश्रुपूरित हर नेत्र है आज,
देश की पूरी एक आवाज,
श्रद्धा सुमन अर्पित बलबीर,
खो दिए फिर हमने वीर ।

-प्रदीप कुमार साहनी

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14-02-2016) को "आजाद कलम" (चर्चा अंक-2252) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    वीरों को नमन
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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