मेरे साथी:-

Sunday, February 7, 2016

आयेंगे ऋतुराज बसंत

खिल गए सरसों पीले पीले,
पीत रंग में रंगी धरा है,
वृक्षों में नव कोंपल फूटे,
पुनः यहाँ सब हरा भरा है ।

पतझड़ के वे रुखे से पल,
हो चला अब उसका अंत,
प्रकृति सत्कार में जुटी,
आयेंगे ऋतुराज बसंत ।

कामदेव के पुत्र बसंत का,
आना सरस, सुखद संयोग है,
कंपकंपाती शीत ऋतु का,
हम सबसे मीठा वियोग है ।

मानो ज्यों श्रृंगार कर लिया,
धरनि ने अद्भूत अनंत,
कोकिल स्वागत गान है गाती,
आयेंगे ऋतुराज बसंत ।

आम्र बौरों से लदने आतुर,
पुष्प खिले चहुँ ओर यहाँ हैं,
हिम पिघल कर चरण पखारे,
ऐसी किसकी शान कहाँ है ?

पवन देव स्वयं झूला झुलावे,
ये ऋतुओं में है महंत,
हरियाली चहुँओर शोभती,
आयेंगे ऋतुराज बसंत ।

वर्ष पुराना खोल के चोला,
बदलेगा नव वर्ष में अब तो,
खुशियों के त्योहार सजेंगे,
तन मन होंगे हर्ष में अब तो ।

माघ मास की शुक्ल पंचमी,
चेतन बन होगा जड़ंत,
सोलह कला में खिलि प्रकृति,
आयेंगे ऋतुराज बसंत ।

-प्रदीप कुमार साहनी

6 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 08 फरवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (08-02-2016) को "आयेंगे ऋतुराज बसंत" (चर्चा अंक-2246) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका बहुत बहुत आभार ।

      Delete
  3. प्रकृति का मनोरम वर्णन बहुत अच्छा लगा ।

    कविताओं के लिये http://manishpratapmpsy.blogspot.com पर भी सादर आमंत्रित है आप सब।

    ReplyDelete

कृपया अपनी टिप्पणी दें और उचित राय दें | आपके हर एक शब्द के लिए तहेदिल से धन्यवाद |
यहाँ भी पधारें:-"काव्य का संसार"

हिंदी में लिखिए:

संपर्क करें:-->

E-mail Id:
pradip_kumar110@yahoo.com

Mobile number:
09006757417

धन्यवाद ज्ञापन

"मेरा काव्य-पिटारा" ब्लॉग में आयें और मेरी कविताओं को पढ़ें |

आपसे निवेदन है कि जो भी आपकी इच्छा हो आप टिप्पणी के रूप में बतायें |

यह बताएं कि आपको मेरी कवितायेँ कैसी लगी और अगर आपको कोई त्रुटी नजर आती है तो वो भी अवश्य बतायें |

आपकी कोई भी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण होगा |

मेरे ब्लॉग पे आने के लिए आपका धन्यवाद |

-प्रदीप