झील सी ये आँखें, दहकते ये होंठ,दीवाना मुझे क्यों किए जा रही हो;
गुमसुम न बैठो कुछ बोलो तो सही,तड़प क्यो मुझको यूं दिए जा रही हो?
बिखरी ये जुल्फें, महकता बदन,आंखों से रस दिए जा रही हो;
मुस्कुरा दो जरा, बिखरने दो मोटी,क़यामत क्यों ऐसे किए जा रही हो?
कमर ये पतली, ये तिरछी नज़र,जुबान पे क्यों बातें लिए जा रही हो;
बेताब हूँ सुनने को आवाज तेरी,लबों को ऐसे क्यों सीए जा रही हो?
भोला ये चेहरा पर तीखे नयन,जादू क्या मुझपे किए जा रही हो;
खामोश रहकर दिल ही दिल में,अरमान दिलों का लिए जा रही हो।
कोमल ये पैर, कमल सा नाजुक,पायल का भार क्यों दिए जा रही हो;
भीड़ में ख़ुद को यूं कष्ट देकर,जुल्म क्यों मुझपे किए जा रही हो |
प्यार की मूरत है ये सूरत तेरी,दूर क्यो मुझसे किए जा रही हो;
होगा क्या मेरा गर देखा न मुझको,अंदाजा नही तुम किए जा रही हो।
हुश्न है ऐसा कुछ कह नहीं सकता, अदाओं से मदहोश किए जा रही हो;
मिला है तुमको कुदरत से इतना, शृंगार क्यों उसपे किए जा रही हो ?
गुमसुम न बैठो कुछ बोलो तो सही,तड़प क्यो मुझको यूं दिए जा रही हो?
बिखरी ये जुल्फें, महकता बदन,आंखों से रस दिए जा रही हो;
मुस्कुरा दो जरा, बिखरने दो मोटी,क़यामत क्यों ऐसे किए जा रही हो?
कमर ये पतली, ये तिरछी नज़र,जुबान पे क्यों बातें लिए जा रही हो;
बेताब हूँ सुनने को आवाज तेरी,लबों को ऐसे क्यों सीए जा रही हो?
भोला ये चेहरा पर तीखे नयन,जादू क्या मुझपे किए जा रही हो;
खामोश रहकर दिल ही दिल में,अरमान दिलों का लिए जा रही हो।
कोमल ये पैर, कमल सा नाजुक,पायल का भार क्यों दिए जा रही हो;
भीड़ में ख़ुद को यूं कष्ट देकर,जुल्म क्यों मुझपे किए जा रही हो |
प्यार की मूरत है ये सूरत तेरी,दूर क्यो मुझसे किए जा रही हो;
होगा क्या मेरा गर देखा न मुझको,अंदाजा नही तुम किए जा रही हो।
हुश्न है ऐसा कुछ कह नहीं सकता, अदाओं से मदहोश किए जा रही हो;
मिला है तुमको कुदरत से इतना, शृंगार क्यों उसपे किए जा रही हो ?