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Sunday, August 21, 2011

उम्मीद

एक उम्मीद है लगी,
एक किरण है दिखी,
नये कोंपल है लगे,
नवल कलियाँ है खिली ।
पतझड़ के बाद,
शायद आये ऋतुराज,
ह्रदय में शतत,
एक आशा है जगी ।
युवा शक्ति आज,
है उठ खड़ा हुआ,
आलोक की तलाश,
अब शुरु हो चुकी ।
बदलाव की आये बयार,
रिमझिम-सी हो फुहार,
सुखद एक परिवर्तन की,
विश्वास है जगी ;
राष्ट्र नवनिर्माण की,
एक उम्मीद है लगी ।

6 comments:

  1. sunder kvita

    dekhna hai jagrti ke ye lahar kitna aage bdhegi

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  2. बहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.आपको कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें

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  3. वाह सुंदर ...बहुत सुंदर भाव ....

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  4. आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (६) के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आयें और अपने विचारों से हमें अवगत कराएँ /आप हिंदी के सेवा इसी तरह करते रहें ,यही कामना हैं /आज सोमबार को आपब्लोगर्स मीट वीकली
    के मंच पर आप सादर आमंत्रित हैं /आभार /

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