मेरे साथी:-

Wednesday, April 23, 2008

हरे राम का तोता

आग, पानी से दूर ही रहो,
एक जलाती, एक डुबाती  है;
मत मोलो खतरा,
बोले, हरे राम का तोता।

डर, आलस के पास न जाओ,
एक रोकती, एक रुकवाती है;
आए खतरा तो लडो,
बोले, हरे राम का तोता।

पैसा, लड़की को समझ से झेलो,
एक भागती, एक भगाती है;
जानकारी ही बचाव,
बोले, हरे राम का तोता।

प्यार, दोस्ती को मिक्स मत करो,
एक सवांरता, एक बचाता है;
दोनों का दरकार,
बोले, हरे राम का तोता।

नशा, पढ़ाई के अंत को जानो,
एक गिराती, एक उबारती है;
नशा नहीं थोड़ा भी,
बोले, हरे राम का तोता।

गम, खुशी के भेद को समझो,
 एक रुलाती, एक हँसाती है;
मस्ती ही हो फितरत,
 बोले, हरे राम का तोता।

No comments:

Post a Comment

कृपया अपनी टिप्पणी दें और उचित राय दें | आपके हर एक शब्द के लिए तहेदिल से धन्यवाद |
यहाँ भी पधारें:-"काव्य का संसार"

हिंदी में लिखिए:

संपर्क करें:-->

E-mail Id:
pradip_kumar110@yahoo.com

Mobile number:
09006757417

धन्यवाद ज्ञापन

"मेरा काव्य-पिटारा" ब्लॉग में आयें और मेरी कविताओं को पढ़ें |

आपसे निवेदन है कि जो भी आपकी इच्छा हो आप टिप्पणी के रूप में बतायें |

यह बताएं कि आपको मेरी कवितायेँ कैसी लगी और अगर आपको कोई त्रुटी नजर आती है तो वो भी अवश्य बतायें |

आपकी कोई भी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण होगा |

मेरे ब्लॉग पे आने के लिए आपका धन्यवाद |

-प्रदीप