मेरे साथी:-

Friday, August 5, 2011

एक नारी के रूप अनेक

कभी मात बन जनम ये देती,
कभी बहन बन दुलराती;
पत्नी बन कभी साथ निभाती,
कभी पुत्री बन इतराती;

कहने वाले अबला कहते,
पर भई इनका तेज तो देख;
काकी, दादी सब बनती ये,
एक नारी के रूप अनेक |

कभी शारदा बन गुण देती,
कभी लक्ष्मी बन धन देती;
कभी काली बन दुष्ट संहारती,
कभी सीता बन वर देती;

ममता भी ये, देवी भी ये,
नत करो सर इनको देख;
दुर्गा, चंडी सब बन जाती,
एक नारी के रूप अनेक |

कभी कृष्णा बन प्यास बुझाती,
यमुना बन निच्छल करती;
गंगा बन कभी पाप धुलाती,
सरयू बन निर्मल करती;

नदियाँ बन बहती जाती,
न रोक पाओगे बांध तो देख,
कावेरी भी, गोदावरी भी ये,
एक नारी के रूप अनेक |

कभी अश्रु बन नेत्र भिगोती,
कभी पुष्प बन मुस्काती;
कभी मेघ बन बरस हैं पड़ती,
कभी पवन बन उड़ जाती;

पल-पल व्याप्त कई रूप में ये,
न जीवन है बिन इनको देख;
जल भी ये, पावक भी ये,
एक नारी के रूप अनेक |

Monday, August 1, 2011

मुस्कुरा दिया करना

जिन्दगी रुठी भी रही तो शिकवा नहीं कोई,
बस जब तुझे देखुँ, मुस्कुरा दिया करना;
घाव भर जायेंगे देख कर ही तुझको,
जब पास तेरे आऊँ खिलखिला दिया करना ।

वर्षों की थकान यूँ ही मिट जायेगी,
नींद बनकर थोड़ा सुला दिया करना;
कभी-भी मन जब काठ बन जाये,
इतना एहसान करना,रुला दिया करना ।

समझ न पाऊँ गर दुनिया की रीत,
हौले से बस थोड़ा समझा दिया करना;
नफरत भरी दुनिया में झुलस जाऊँ थोड़ा,
द्वेष की आग को बुझा दिया करना ।

भाग तो रहा हूँ मंजिल की खोज में,
बैठ जाऊँ थककर, उठा दिया करना;
भाग-दौड़ की दुनिया में,जब भागता ही जाऊँ,
प्यार की छाँव में बिठा दिया करना ।

भुल जाऊँ हर जख्म, भुल जाऊँ हर गम,
सर पर बस हाथ फिरा दिया करना;
जुड़ा है तुझसे,हर श्वास, हर खुशियाँ,
बस जब तुझे देखुँ, मुस्कुरा दिया करना ।

Monday, July 25, 2011

कीमत

जिन्दगी की कीमत उन्हे क्या मालुम जो सुरक्षा चक्र के बीच घुमा करते है,
रोजाना सर पर कफन बाँध कर घर से निकलने वाले एक आम जन से पुछो कि जिन्दगी क्या चीज है ।

पानी का कदर उन्हे क्या मालूम जो घरों में स्विमिंग पूल बनवा कर रखते हैं,
दिन भर खून जैसा पसीना बहाने वाले मजदूर से पुछो की पानी क्या चीज है ।

रिश्तों का मतलब उन्हे क्या मालूम जो अक्सर रिश्ते बनाते और बिखेरते हैं,
स्टेशन पे भीख माँगते एक अनाथ बच्चे से पुछो कि अपनापन क्या चीज है ।

Sunday, July 10, 2011

अवतार: नन्ही-सी देवी का


नन्ही-सी देवी ने अवतार धर लिया,
मेरे मन मष्तिस्क को निसार कर दिया;
खुशियों की आज मेरी न सीमा है कोई,
बगिया को आज मेरे गुलजार कर दिया ।

सबको हँसी की सौगात देन आई,
दिल को एक सुन्दर जज्बात देने आई;
आना उसका सुखद है हम सबके लिए,
रत्नों के संग्रह में आफताब देने आई ।

जीवन के मुकुट में आज रत्न जड़ गया,
चलते-चलते रास्ता एक सोपान चढ़ गया;
"दीप" करे आभार जिसने दिया ये उपहार,
मेरे हृदय का आकार थोड़ा और बढ़ गया ।

Wednesday, July 6, 2011

कि मैं साथ हूँ

न हो तू उदास
कि मैं साथ हूँ,
रहेंगी खुशियाँ पास
कि मैं साथ हूँ ।

करना मेरा विश्वास
कि मैं साथ हूँ,
न हो तू उदास
कि मैं साथ हूँ ।

गम का बादल तुझपे कभी छाने नहीं दुँगा,
कमल-सा ये चेहरा मुर्झाने नहीं दुँगा ।
मुस्कान आयेगी रास
कि मैं साथ हूँ,

न हो तू उदास
कि मैं साथ हूँ ।

साथ ले चलुँगा तुझे, कभी खोने नहीं दुँगा,
टूट भी जाऊँ मैं भले, तुझे रोने नहीं दुँगा ।
रखुँगा तेरा आस
कि मैं साथ हूँ,

न हो तू उदास
कि मैं साथ हूँ ।

एक भी स्वप्न आँखों का कभी टूटने नहीं दुँगा,
जिंदगी की दौड़ में पीछे छुटने नहीं दुँगा ।
रहोगे तुम खाश
कि मैं साथ हूँ,

न हो तू उदास
कि मैं साथ हूँ ।

हिंदी में लिखिए:

संपर्क करें:-->

E-mail Id:
pradip_kumar110@yahoo.com

Mobile number:
09006757417

धन्यवाद ज्ञापन

"मेरा काव्य-पिटारा" ब्लॉग में आयें और मेरी कविताओं को पढ़ें |

आपसे निवेदन है कि जो भी आपकी इच्छा हो आप टिप्पणी के रूप में बतायें |

यह बताएं कि आपको मेरी कवितायेँ कैसी लगी और अगर आपको कोई त्रुटी नजर आती है तो वो भी अवश्य बतायें |

आपकी कोई भी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण होगा |

मेरे ब्लॉग पे आने के लिए आपका धन्यवाद |

-प्रदीप