लाल गुलाबी नीले पीले,
रंगों से तो खेल चुके हैं,
इस होली नव पुष्प खिलाएँ,
चलो नया एक रंग लगाएँ ।
मानवता की छाप हो जिसमे,
स्नेह सरस से सना हो जो,
ऐसी होली खूब मनाएँ,
चलो नया एक रंग लगाएँ ।
जात-पात की हर दीवारें,
और न दिखे हम सब में,
रंगों से रंगभेद मिटाएँ,
चलो नया एक रंग लगाएँ ।
हो राष्ट्रप्रेम हर दिल में बस,
भारत माँ की जयकार हो,
राष्ट्रवाद हर ओर फैलाएँ,
चलो नया एक रंग लगाएँ ।
इस समाज की कुव्यवस्था पर,
चोट करे हम हरदम ही,
नव पीढ़ी को सही सिखाएँ,
चलो नया एक रंग लगाएँ ।
सही को सही कह पाये हम,
गलत हो जो धिक्कार करें,
मन में नव रंगोली सजाएँ,
चलो नया एक रंग लगाएँ ।
-प्रदीप कुमार साहनी