नहीं रहा अब
दुनिया पे यकीन,
भरोसे जैसी कोई
अब चीज कम है ;
दुनिया पे यकीन,
भरोसे जैसी कोई
अब चीज कम है ;
बदल गये लोग
बदल गई मानसिकता,
बदल गई सोच
खतम हुई नैतिकता ;
हमने ही सब बदला
और कहते हैं आज
कि अच्छी नहीं रही
अब आबो हवा |
"मेरा काव्य-पिटारा" ब्लॉग में आयें और मेरी कविताओं को पढ़ें |
आपसे निवेदन है कि जो भी आपकी इच्छा हो आप टिप्पणी के रूप में बतायें |
यह बताएं कि आपको मेरी कवितायेँ कैसी लगी और अगर आपको कोई त्रुटी नजर आती है तो वो भी अवश्य बतायें |
आपकी कोई भी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण होगा |
मेरे ब्लॉग पे आने के लिए आपका धन्यवाद |
-प्रदीप