समझ के भेजा था तुझे हमदर्द अपना,
दर्द जो न महसूस किये तो ये गलती किसकी ?
सोचा था दो-चार खुशियाँ हमे दोगे,
लगे अपनी खुशी समेटने तो ये गलती किसकी ?
जन-गण ने चुना कि हमारे बीच ही रहोगे,
लगे शीशमहल बनाने तो ये गलती किसकी ?
वतन के नाम पे चंद कसीदे तो पढ़ोगे,
लगे वतन को ही पढ़ाने तो ये गलती किसकी ?
तुम अगर जगते, जनता चैन से सोती,
स्वयं चीर निद्रा में खोये तो ये गलती किसकी ?
जनता यहाँ स्वामी, तुझे स्वामी ने ही भेजा,
लगे खुद को बॉस समझने तो ये गलती किसकी ?
दर्द जो न महसूस किये तो ये गलती किसकी ?
सोचा था दो-चार खुशियाँ हमे दोगे,
लगे अपनी खुशी समेटने तो ये गलती किसकी ?
जन-गण ने चुना कि हमारे बीच ही रहोगे,
लगे शीशमहल बनाने तो ये गलती किसकी ?
वतन के नाम पे चंद कसीदे तो पढ़ोगे,
लगे वतन को ही पढ़ाने तो ये गलती किसकी ?
तुम अगर जगते, जनता चैन से सोती,
स्वयं चीर निद्रा में खोये तो ये गलती किसकी ?
जनता यहाँ स्वामी, तुझे स्वामी ने ही भेजा,
लगे खुद को बॉस समझने तो ये गलती किसकी ?
जगी है अब जनता और दागे चाँद सवाल,
तेरे कर्मों ने ही जगाया तो ये गलती किसकी ?
मांग रही हक़ अपना और तुझे देना भी होगा,
तुने नाफ़रमानी की है तो ये गलती किसकी ?