भ्रष्टाचारियों सावधान, जाग रहा है देश ।।
नौकरशाह हो या नेता, घिर रहें हैं आज |
नोट नीति से कब तक, कुचलोगे आवाज ||
भ्रष्ट कर्म किए जो तूने, नहीं छुपेगा राज |
ऊपर वाले का सोंटा, बनके गिरेगा गाज़ ||
आज नहीं तो वर्षों बाद, खो दोगे तुम आपा |
यौवन का सब किया धरा, भरेगा तेरा बुढ़ापा ||
लालच में जब आ करके, बेच दिया है जमीर |
जेल की खिचड़ी भाग्य में, कहाँ मिलेगा खीर ||
न्याय तंत्र पे जाग गया, आज पुनः विश्वास |
भ्रष्ट हो जो वो अंदर हो, आम जनता की आस ||
नाच नचाते ही रहे, सबको तुम पल-पल |
कानून तुझे नचवायेगा, आएगा वो कल ||
नाच नचाते ही रहे, सबको तुम पल-पल |
कानून तुझे नचवायेगा, आएगा वो कल ||