मेरे साथी:-

Saturday, July 2, 2011

गूंजेगी मीठी किलकारियाँ

मेरे घर गूंजेगी अब मीठी किलकारियाँ,
वो रुदन और क्रंदन अब अकसर सुनाई देगा |

खुशियों की भेंट लेकर कोई तैयार है पड़ा,
देवी कदम रखेगी या कोई देवदूत दिखाई देगा |

बगिया में मनके पुष्प खिलने है वाला,
महक उसका जीवन को नयी ऊंचाई देगा |

कोई कह रहा बालक, कोई बालिका है कहता,
पर एहसास उसके आने का मन को तरुनाई देगा |

हर अपना मेरा बेसब्र हो बाट जोह रहा,
गोद में कोई नया जाने कब अंगडाई लेगा |

माता-पिता, भाई-बहन प्रफुल्लित है बड़े,
उसके लिए प्रतीक्षा भी दिल को मिठाई देगा |

आभार है उनको जो उसे लाने है वाली,
ममता के छाँव में उनके वो जम्हाई लेगा |

हर्षित “दीप” बार-बार कहता है रब से,
कुशल मंगल आगमन की ये हृदय दुहाई देगा |

Thursday, June 30, 2011

चवन्नी की विदाई

( मित्रो, सुना है आज से अधिकारिक तौर पे चवन्नी का अस्तित्व ख़त्म कर दिया जायेगा | इसी बात पे मैंने अपनी ये कविता लिखी है | कृपया अपनी राय रखें |)

जा चवन्नी जा ! आज तेरी विदाई है,
तुझको रुख्सत करने वाली और कोई नही महँगाई है ।

देश से तेरा वजूद आज मिटने को है आया,
तुझपे भी समय का ये कोप है छाया |

पहला सिक्का बनके अठन्नी आज इठलाई है,
जा चवन्नी जा ! आज तेरी विदाई है |

मोल तेरा आज यहाँ रहा नहीं कुछ,
महंगाई की भेंट चढ़ सहा बहुत कुछ |

दस पैसा कबका गया, आज तेरी बारी आई है,
जा चवन्नी जा ! आज तेरी विदाई है |

गरीबों और बच्चों की एक चाहत थी तुम,
दर-ब-दर भटकती, फिर भी राहत थी तुम |

कहने वाले कहते हैं, आर्थिक तरक्की आई है,
जा चवन्नी जा ! आज तेरी विदाई है |

इस कृतघ्न समाज से विदाई शायद खुशनशीबी है तुम्हारी,
तुझको इस कदर भूलना शायद बदनशीबी है हमारी |

तेरी हंसी आज इस देश में कुम्भलाई है,
जा चवन्नी जा ! आज तेरी विदाई है |

Tuesday, June 28, 2011

दर्द-ए-ईश्क

दर्द-ए-ईश्क पत्थर को भी रुलाता है ऐ "दीप",
हर शख्स किसी न किसी के प्यार में खोया होगा;
यूँ ही नहीं गिरा करती हैं ओंस की बुँदे,
आसमान भी शायद किसी के गम मे रोया होगा ।

चकोर के दिल में भी उठती होगी चाँद के लिए हुक,
मयूर ने भी घटा संग प्रेम का बीज बोया होगा;
पत्थर दिल कहते हैं कि आँसू नहीं आते,
पर उसने भी किसी की याद मे आँख भिंगोया होगा ।

नदियों ने भी सौंपी होंगी सागर को ख्वाहिशे,
पौधे ने भी लताओ संग सपना संजोया होगा;
कभी खुशी तो कभी गम के आँसू देता ये दर्द,
इस दर्द को भी सबने सिद्दत से जीवन मे पिरोया होगा ।

Saturday, June 25, 2011

महँगाई से मोहब्बत

आज हर तरफ है छाई महँगाई,
हर एक के उपर आज आफत है आई,
महँगाई में ही सर्वोच्चता का दीदार हो गया,
ये सोच के महँगाई से मुझे प्यार हो गया ।

हर किसी के होठों पे बस इसका नाम है,
महँगाई खाश है बाकि सब आम है,
महँगाई के बिना चल पाना दुस्वार हो गया,
ये देख के महँगाई से मुझे प्यार हो गया ।

सरकार के नीति का ही कुछ गोलमाल है,
लफड़ा करुँ तो ये अपने ईज्जत का सवाल है,
हाथ खड़े करके ही अपना जीवन साकार हो गया,
इसलिए तो महँगाई से मुझे प्यार हो गया ।

परेशान तो हैं क्योंकि सबके बढ़ते दाम हैं,
पर क्या करें हम तो एक इंसान आम हैं,
सी नहीं सकता इसलिए जख्मों पे निसार हो गया,
ये सोच के महँगाई से मुझे प्यार हो गया ।

सबके लिए मेरे पास एक राय है,
अगर आपके खर्च है ज्यादा और कम आय है,
आप भी कहो महँगाई का सबको खुमार हो गया,
आज से महँगाई से मुझे प्यार हो गया ।

Friday, June 24, 2011

मजा कुछ और है !!

किताबें तो पढ़ के बहुत आनन्द आता है,
पर आँखे बंद कर मन की किताब पढ़ने का मजा कुछ और है ।

बाहर तो लोग हजारों से मिल लेते हैं,
पर अंतरआत्मा से साक्षात्कार का मजा कुछ और है ।

रोशनी का लुत्फ तो बहुतेरे उठाते हैं,
पर अंधेरे में स्वयं की पहचान करने का मजा कुछ और है ।

बाहरी सुन्दरता को देख हर कोई है मुस्कुरा उठता,
पर भीतरी सौन्दर्य को परख लेने का मजा कुछ और है ।

औरों पे अट्टाहस तो अकसर ही करते हम,
पर अपने आप पे थोड़ा हँस लेने का मजा कुछ और है ।

अपनों का सहायक बन पुलकित होते हम,
पर एक असहाय को सहाय देने का मजा कुछ और है ।

नींद में तो ख्वाबों का पुलिन्दा सा बँध जाता है,
पर जागती आँखों से स्वप्न देख लेने का मजा कुछ और है ।

प्रेम रस से सराबोर प्रेमी-प्रेमिका हैं फिरते,
पर अपने ईष्टदेव से भक्ति पुर्ण प्रेम करने का मजा कुछ और है ।

अपनी तो हजारों ईच्छा पूरी कर लेते हैं हम,
पर माँ-बाप के अरमान पूरा कर देने का मजा कुछ और है ।

अपनी जरुरत के लिए जंगल का जंगल उड़ा देते हैं हम,
पर प्यार से एक पेड़ लगा जाने का मजा कुछ और है ।

भव्यता को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हम,
पर हृदय को भव्य बना लेने का मजा कुछ और है ।

जिन्दगी की अमिट साख पे मर ही मिटते हम,
पर जिन्दगी को जिन्दगी बना लेने का मजा कुछ और है ।

हिंदी में लिखिए:

संपर्क करें:-->

E-mail Id:
pradip_kumar110@yahoo.com

Mobile number:
09006757417

धन्यवाद ज्ञापन

"मेरा काव्य-पिटारा" ब्लॉग में आयें और मेरी कविताओं को पढ़ें |

आपसे निवेदन है कि जो भी आपकी इच्छा हो आप टिप्पणी के रूप में बतायें |

यह बताएं कि आपको मेरी कवितायेँ कैसी लगी और अगर आपको कोई त्रुटी नजर आती है तो वो भी अवश्य बतायें |

आपकी कोई भी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण होगा |

मेरे ब्लॉग पे आने के लिए आपका धन्यवाद |

-प्रदीप